बहादुर सिंह चौहान
(संपादक)
प्रदेश में इन दिनों अवैध बजरी का खनन जोरों पर चल रहा है। चुनाव में पुलिस सुरक्षा को लेकर व्यस्त है तथा वहीं माफिया धड़ल्ले से अवैध बजरी का खनन करने में व्यस्त है। आए दिन बजरी खनन को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोगों में रोष व्याप्त है। लोगों का कहना है कि देर रात बजरी से भरे डंबर तेजी गति से चलते है जिससे हमेशा दुर्घटना का भय बना रहता है। सरकार लोकसभा के चुनाव में व्यस्त है। वहीं बजरी माफिया नदियों और तालाबों की कोख खाली करने में धड़ल्ले से जुट गए हैं। माफिया के इस खेल में पुलिस, खनन विभाग की मिलीभगत कोढ़ में खाज साबित हो रही है। कहीं नदी तो कहीं तालाब खोदे जा रहे हैं। अवैध खनन होने के साथ ही तालाब में पानी कम होता जा रहा है। वहीं रॉयल्टी ठेकेदार नियमों को ताक में रखकर बजरी का खनन करने में लिप्त हैं। नदी के कैचमेंट एरिया से ही मशीनों के माध्यम से बजरी का अवैध खनन कर रहे है। जोधपुर शहर में तो देर रात बजरी से भरे डंपर इतने तेज दौड़ते है कि सामने कोई भी आ जाए तो दुर्घटना होनी तय है। ऐसा नहीं है कि पुलिस को इसकी जानकारी नहीं है… जानकारी सब है लेकिन बड़े आकाओं के आदेश के इंतजार में आंखे मूद रखी है। रोजाना बजरी के ३० से ५० डंपर आते हंै। माफिया ने शहर में एक दर्जन जगह पर अवैध बजरी का अखाड़ा फैला रखा है। वहीं बजरी माफियाओं द्वारा बजरी लाने वाले वाहनों को ध्यान रखने के लिए अलग से वाहन उनके आगे चलता रहता है तथा पीछे सबको पुलिस संबंधित आने वाले बेरिकेड की जानकारी देता रहता है। कोर्ट ने भी इस मामले में सख्ती कर रखी है लेकिन चोरी-छुपे हो रहे इस व्यापार को रोकने वाला कोई नहीं है। मामला सामने आने पर विभाग इन माफियाओं को पकडऩे के लिए टीमें भी गठित करती है। लेकिन इनको पकडऩे में सुस्ती दिखाती है। वहीं मिलीभगत के चलते उन पर कार्रवाई करने से कतराती है। ऐसे में बजरी खनन करने वालों पर अंकुश लगाएगा कौन? यही सवाल आमजन के मन में सुलगता रहता है। वहीं अनभिज्ञ खनिज अधिकारी अपना बचाव करने के लिए कहती है कि टीम के रवाना होने की सूचना बजरी माफिया को पहले से ही मिल जाती है। जिसके कारण अवैध बजरी खनन के लिए प्रयुक्त वाहन हमारी पकड़ से दूर हो जाते है। जबकि हकीकत कुछ और ही नजर आती है। आमजन का तो यहां तक कहना है कि बिना मिलीभगत के ऐसा संभव नहीं है। पैसों के लालच में विभाग के ही अधिकरी या कर्मचारी विभाग के बाहर बैठे अवैध बजरी माफियों के लोगों को सूचना दे देते है जिसके कारण सभी चौकन्ने हो जाते है जिसके कारण वाहन पकड़ में नहीं आ पाते है। माफियाओं के वाहन अधिकारियों की रैकी भी करते हैं। बजरी माफिया को आगे से आगे मोबाइल पर वाहन नंबर तक की सूचना मिल रही है। इस कारण बजरी भरे वाहन नहीं पकड़े जाते।
