जोधपुर। अपनों से ठुकराने का दर्द वृद्धावस्था में घोर मानसिकता का कारण बनता है। अपनों का साथ नहीं मिलना वृद्धावस्था में किसी भी सीमा तक जा सकता है। बुजुर्गों को कलयुगी बेटे वृद्धाश्रमों में भर्ती करवा कर अपना पल्ला झाड़ देते है। मगर बुजुर्ग मानसिक अवसाद में आते है और फिर जोखिम भरा कदम तक उठाते है। ऐसा की एक बुजुर्ग ने किया। उसने अपना घर की आश्रम की बालकनी से कूद कर अपनी जान दे दी। अस्पताल में उपचार के बीच उसकी मौत हो गई।
दरअसल शहर के शास्त्रीनगर पाल रोड पर अपना घर आश्रम आया है। यहां पर बुजुर्गों की देखभाल की जाती है। 7 मई की तडक़े तीन बजे एक बुजुर्ग ने बालकनी वाला दरवाजा तोडऩे के बाद वहां से कूद कर अपनी जान दे दी। पता लगने पर उसे एमडीएम अस्पताल में लाया गया। मगर कुछ समय बाद मौत हो गई। इस बारे में अपना घर आश्रम के सेवादार देवीलाल उर्फ देबुराम की तरफ से मर्ग में रिपोर्ट दी गई है। शास्त्रीनगर पुलिस ने कार्रवाई कर शव को सुुपुर्द कर दिया।
