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विधि एवं न्याय मंत्रालय तथा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण से मांगा हलफनामा
मधुहीर राजस्थान
जोधपुर। राजस्थान उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश डॉ. पीएस भाटी और न्यायाधीश योगेंद्र कुमार पुरोहित की खंडपीठ ने राज्य के स्थाई लोक अदालतों में पिछले आठ साल से स्वीकृत पदों की पूर्ण भर्ती नहीं किए जाने, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद पर नियुक्ति नहीं देने और रीडर व श्रेणी तीन के स्टेनोग्राफर की पदोन्नति का कोई प्रावधान नहीं होने पर राज्य सरकार के विधि एवं न्याय मंत्रालय तथा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को आगामी पेशी 10 जुलाई तक हलफनामा दायर किए जाने के निर्देश दिए है।
एडवोकेट वीडी दाधीच की ओर से दायर जनहित याचिका पर बहस करते हुए अधिवक्ता अनिल भंडारी ने कहा कि गत 25 अप्रैल 2016 को राज्य में कार्यरत स्थाई लोक अदालत के लिए रीडर और आशुलिपिक के एक-एक पद, लिपिक के तीन पद और साइकिल सवार चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के दो पद स्वीकृत होने के बावजूद आठ साल बाद भी कई जगह पद रिक्त है। वहीं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की तो भर्ती ही नहीं की जा रही है। इसकी वजह से न्यायिक कार्यवाही बाधित हो रही है। उन्होंने कहा कि इन अदालतों में रीडर और आशुलिपिक श्रेणी तीन में कार्यरत कर्मियों की पद्दोन्नति का कोई भी प्रावधान नहीं होने से कर्मचारी कुछ साल बाद नौकरी छोडऩे को विवश हो रहे है इसलिए इनके लिए पद्दोन्नति का प्रावधान किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्थाई लोक अदालत में अभी तक निर्णय या आदेश ऑनलाइन उपलब्ध नहीं किए जा रहे है। स्थाई लोक अदालत जोधपुर महानगर में तीन कर्मियों के मध्य सिर्फ एक ही टेबल आवंटित की हुई है और प्राधिकरण ने शौचालय को लगभग स्टोर में तब्दील कर दिया है इसलिए पूर्ण संसाधन की सुविधा मुहैया कराई जाएं। राज्य सरकार और प्राधिकरण की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता महावीर बिश्नोई, हाईकोर्ट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. सचिन आचार्य और भारत सरकार की ओर से डेपुटी सॉलिसिटर जनरल मुकेश राजपुरोहित ने पैरवी की।
