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जीत मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के चिकित्सकों की एक और सफलता

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मधुहीर राजस्थान
जोधपुर। मोगड़ा स्थित जीत मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम ने मल्टी आर्गन फेलियर की स्थिति में पहुंचे एक मरीज को नया जीवन प्रदान किया। हॉस्पिटल की चिकित्सा अधीक्षक डॉ. रंजना माथुर ने बताया कि गत 26 अप्रैल को जोधपुर के निकटवर्ती रहने वाले 34 वर्षीय चैनसिंह को उनके परिजन यहां लेकर पहुंचे। मरीज को बहुत ही तेज बुखार के साथ पूरे शरीर पर दाने, बीपी का लगातार ऊपर-नीचे होना, मूत्र विसर्जन नहीं होना तथा सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। ऐसी स्थिति में तुरंत ही विशेषज्ञ चिकित्सकों की एक टीम बनाकर मरीज को आईसीयू में शिफ्ट करने के साथ विभिन्न जांचे की गई। इसमेंं पता चला कि मरीज के प्लेटलेट्स लगातार कम हो रहे हैं, क्रेटिनाइन बढ़ रहा है और इसके चलते किडनी और लीवर डेमेज हो रहे हैं। साथ ही उनके हाथ-पैरों ने काम करना भी बंद कर दिया है। डॉ. माथुर ने बताया कि ऐसे गंभीर मरीज बहुत कम होते हैं जिनके एक साथ इतने ऑर्गन काम करना कम या बंद कर देते हैं। ऐसे में मरीज के परिजनों को सारी स्थिति से अवगत कराने के साथ इसे चैलेंज के रूप में लेते हुए इलाज शुरू किया गया।

हॉस्पिटल की ओर से इस मरीज के लिए गठित टीम के डॉ. जयप्रकाश गंगानी ने बताया कि मरीज की लगातार गिरती स्थिति को देखते हुए विभिन्न विशेषज्ञ चिकित्सकों की देखरेख में ड्रिप के माध्यम से दवाइयां शुरू करने के साथ प्लेटलेट्स चढ़ाए गए लेकिन मरीज के स्थिति में सुधार नहीं होता देख वेंटिलेटर पर ले लिया गया। इसके साथ ही मरीज का डायलिसिस भी शुरू कर दिया। इसके बाद भी कोई सुधार नहीं होता देख अंतिम अस्त्र के रूप में क्वाड्रिपेरेसिस के मद्देनजर उन्हें पल्स स्टेरॉयड थेरेपी शुरू की गई। उन्होंने बताया कि एमपीएस की पहली खुराक के बाद अंगों की समीपस्थ मांसपेशियों में उनकी शक्ति में थोड़ा सुधार हुआ। मरीज की स्थिति को देखते हुए उसे लंबे समय तक वेंटिलेटर की जरूरत थी ऐसी स्थिति में उसकी सांस की नली में एक छेद कर वेंटिलेटर को नियमित किया गया। एमपीएस की तीसरी खुराक के बाद उंगलियों में हल्की हलचल के साथ समीपस्थ मांसपेशियों में उनकी शक्ति लौटने लगी। इसके बाद इलाज की पद्धति में कुछ बदलाव नियमित डायलिसिस से धीरे-धीरे मरीज की स्थिति सुधरने लगी तथा हाथ-पैरों में भी हलचल शुरू हो गई।

उन्होंने बताया कि मरीज की सुधरती स्थिति को देखते हुए धीरे-धीरे उनका वेंटिलेटर हटाना शुरू किया तथा कुछ दिन बाद वेंटिलेटर पूरी तरह से हटा दिया गया। इसके पश्चात सांस की नली का छेद बंद कर मरीज को सेमी सॉलिड फूड देना शुरू कर दिया गया। करीब एक महीना आईसीयू में रखने के बाद वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया जहां से विभिन्न चिकित्सकों की ओर से की गई जांच के बाद आए सकारात्मक परिणाम के बाद मरीज को डिस्चार्ज कर दिया। डॉ गंगानी ने बताया कि मरीज को इस गंभीर स्थित से निकाल कर सामान्य जिंदगी की राह प्रशस्त करने वाली इस टीम में डॉ. अरविंद जैन के नेतृत्व में डॉ. तगतसिंह राठौड, डॉ. रूपसिंह सोढ़ा, डॉ. धर्मपाल, डॉ. अशोक, डॉ. अमित, डॉ. तनुराज सहित श्रवण सिंह, हैदर अली और बिशन ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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