कक्षा एक में प्रवेश के लिए 6 से 7 वर्ष आयु वर्ग निर्धारित
मधुहीर राजस्थान
बीकानेर। सरकारी विद्यालयों में नामांकन बढ़ाने के लिए सरकार कई तरह की योजनाएं चला रही है। विद्यालयों में नामांकन बढ़ाने और बच्चों का ठहराव सुनिश्चित करने के लिए शिक्षक से लेकर संस्था प्रधान तक को जिम्मेदारियां दी गई है। इसके बावजूद हर साल प्रवेशोत्सव में कुछ खास परिणाम नहीं मिलते। अब सरकारी स्कूल में पहली कक्षा में बच्चों की प्रवेश की आयु तय करने का विरोधाभासी आदेश सामने आया है। इसे लेकर शिक्षाविद् सरकारी स्कूलों में बच्चों के नामांकन बढ़ने को और भी ज्यादा मुश्किल मान रहे है। दूसरी तरफ इस आदेश से निजी स्कूलों के लिए छोटे बच्चों के प्रवेश की लॉटरी लगने वाली है।
प्रारंभिक शिक्षा निदेशक ने स्कूलों में प्रवेश के लिए 6 से 7 वर्ष आयुवर्ग की सीमा निर्धारित की है। यानि पहली कक्षा में प्रवेश के लिए बच्चे की उम्र छह से सात साल के बीच होनी चाहिए। इसका यह भी मायना है कि छह साल से कम आयु के बच्चों के लिए कम से कम सरकारी स्कूलों के दरवाजे बंद है। साथ ही सात साल की आयु तक स्कूल नहीं भेजने वाले बच्चों को भी प्रवेशिका में एडमिशन तो नहीं दिया जाएगा।
यह है प्रवेश के लिए निर्धारित आयु
प्रारंभिक शिक्षा निदेशक सीताराम जाट ने आदेश में कहा कि कक्षा एक में प्रवेश के लिए 6 से 7 वर्ष आयु वर्ग निर्धारित की है। आरटीई दिशा निर्देश 2024-25 के अनुसार राजकीय एवं गैर सरकारी विद्यालयों में कक्षा एक में होने वाले प्रवेश के लिए 6-7 वर्ष आयु वर्ग के बालक ही पात्र होंगे। इससे कम उम्र के बालकों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा। इस संबंध में उन्होंने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को आदेश भेजे है।
निजी स्कूलों में तीन साल के बच्चे भी पात्र
शिक्षा विभाग ने कक्षा एक में 6 से 7 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को प्रवेश पालना सरकारी स्कूल करेंगे। परन्तु निजी स्कूलों एवं मिशनरी स्कूलों में तीन से चार साल के बच्चों को प्रवेश दे दिया जाता है। इसके लिए निजी स्कूलों ने एलकेजी, यूकेजी, केजी, प्लेग्रुप, नर्सरी जैसे कई नाम इजात कर रखे है। जब यह बच्चे 6 साल के हो जाते है तब पहली कक्षा में प्रवेश दे देते है। जो बच्चे शुरुआत में दो-तीन साल निजी स्कूलों में जाएंगे, बाद में पहली कक्षा में कैसे सरकारी स्कूल को मिलेंगे।
आयु वर्ग में शिथिलता अब जरूरी हो गई है
आरटीई दिशा निर्देश के अनुसार कक्षा एक में प्रवेश के लिए सरकार ने आयु सीमा 6 से 7 आयु वर्ग निर्धारित की है। सरकारी स्कूलों में प्री. नर्सरी, नर्सरी, एचकेजी, एलकेजी आदि कक्षाएं नहीं होती है। इस वजह से अभिभावक तीन से चार साल तक के बच्चे को निजी स्कूलों में प्रवेश दिलाते हैं। जब एक बार बच्चा निजी स्कूल में प्रवेश लेकर उस स्कूल के माहौल में ढल जाएगा तो फिर उसका स्कूल पहली कक्षा में बदलने के लिए अभिभावक भी तैयार नहीं होंगे।
इसका असर सरकारी स्कूलों में नामांकन पर सीधा पड़ता है। सरकार निशुल्क यूनिफॉर्म, दूध, भोजन, साइकिल, टेबलेट और कई तरह की छात्रवृत्तियां दे रही है। फिर भी सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़ाने एवं ठहराव के लिए प्रयासों का आशानुरूप परिणाम नहीं मिल रहा। ऐसे में आयु सीमा में शिथिलता देने की आवश्यक है। यदि सरकार यह मानती है कि 6 साल से कम आयु के बच्चे के लिए स्कूल या शिक्षण संस्थान की आवश्यकता नहीं है तो निजी स्कूलों को इसकी छूट क्यों दे रखी है। यदि आवश्यकता है तो फिर सरकारी स्कूलों में प्री प्रवेशिका कक्षाएं क्यों नहीं है? इस विषय पर भी विचार करना चाहिए।
