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अनमोल व्यक्तित्व के धनी थे राव चंद्रसेन जी: महाराजा गजसिंह

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मधुहीर राजस्थान

राव चंद्र सेन जी की 483 जयंती पर स्मृति व्याख्यान माला आयोजित

मसूरिया पहाड़ी पर राव चन्द्रसेन जी की मूर्ति स्थापित होगी

जोधपुर। महाराजा गज सिंह जी ने कहा कि मारवाड़ के यशस्वी , प्रजा प्रिय, स्वतन्त्रता के पोषक और जीवनपर्यन्त स्वाधीनता के लिए संघर्ष करने वाले राजपूताने के इतिहास के प्रथम शासक राव चन्द्रसेनजी अनमोल व्यक्तित्व के धनी थे।
महाराजा गज सिंह जी मुख्य अतिथि के रूप में मंगलवार को राव चंद्रसेन शोध पीठ इतिहास विभाग जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय एवं महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाश शोध केंद्र महरानगढ़ म्यूजियम ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में न्यू कैंपस के स्वर्ण जयंती सभागार में आयोजित राव चंद्र सेन की 483 जयंती स्मृति व्याख्यान माला में समारोह को संबोधित कर रहे थे क उन्होंने कहा कि मारवाड़ के इस सेनानायक को इतिहास में वह स्थान नहीं मिला जिसके वो हकदार थे। उनका त्याग और बलिदान किसी से कम नहीं था। उन्होंने कहा कि जोधपुर के शासक रहे राव चन्द्रसेन ने अपनी स्वतन्त्रता बनाए रखने के लिए जीवन भर अकबर के साथ संघर्ष किया, उनके साथ समझौता नहीं किया। उन्होंने कहा कि राव चन्द्रसेन की वीरता व स्वतत्रंता प्रेम को आज भी स्मरण करते हुए गौरव की अनुभूति होती है। उन्होंने कहा कि राजस्थान राज्य धरोहर संरक्षण प्रोन्नति प्राधिकरण के द्वारा जल्द ही मसूरिया पहाड़ी पर राव चंद्रसेन जी की मूर्ति स्थापित होगी।

शौर्य व संघर्ष से भरा था राव चंद्रसेन जी का जीवन: प्रो-मेहर

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता इतिहासविद् प्रो. जहूर खाँ मेहर ने कहा कि राव चन्द्रसेनजी का सम्पूर्ण जीवन शौर्य व संघर्ष से भरा हुआ था। मात्र 39 वर्ष की अल्पायु में ही उन्होंने अपने प्राणोत्सर्ग कर दिये और जीवनपर्यन्त युद्धरत रहे। वे महाराणा प्रताप से ज्यादा शूरवीर थे और उन्होंने उनसे ज्यादा युद्धों में भाग लिया। उन्होंने भी यह कहा कि इतिहासज्ञों और लेखकों की कलम से उनके व्यक्तित्व पर बहुत ही कम लिखा गया है जबकि राव चन्द्रसेनजी कहीं अधिक योग्य थे। उन्होंने महाराणा प्रताप और राव चन्द्रसेनजी का तुलनात्मक अध्ययन भी प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जय नारायण व्यास विष्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) के.एल. श्रीवास्तव ने कहा कि यह सुखद संयोग है कि राव चन्द्रसेनजी के व्यक्तित्व और कृतिव का प्रचार-प्रसार करने के लिए विष्वविद्यालय के इतिहास विभाग में राव चन्द्रसेन शोधपीठ की स्थापना हुई है, जिससे उन पर अधिकाधिक शोध कार्य किये जाकर प्रकाष में लाये जा सकेंगे। उन्होंने कहा कि जल्द ही और भी इतिहास, साहित्य, कला व संस्कृति से जुड़े मारवाड़ के महानुभावों के नाम से शोध पीठों की स्थापना विष्वविद्यालय द्वारा की जायेगी जिससे शोध के अवसर बढ़ेंगे।
कार्यक्रम के विषिष्ट अतिथि व कल सके के डीन प्रो. मंगलाराम विश्नोई ने कहा कि राव चन्द्रसेनजी छापामार रणनीति के जनक थे। इसके बाद इस नीति को महाराणा प्रताप ने भी अपनाया और मुगलों से आजीवन संघर्ष किया। उन्होंने कई वर्षों तक मुगलों को सोने का अवसर नहीं दिया। वे महाराणा प्रताप व वीर शिवाजी के समकक्ष वीर व चतुर योद्धा थे। इसके साथ ही उन्होंने राव चन्द्रसेनजी के इतिहास पर विस्तृत प्रकाष डाला।

राव चन्द्रसेन को पुष्पांजलि अर्पित कर कार्यक्रम की शुरुआत की

महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाष शोध केन्द्र के सहायक निदेषक डॉ. महेन्द्रसिंह तंवर ने बताया कि कार्यक्रम के पूर्व में महाराजा गजसिंहजी का कला संकाय के सभी विभागाध्यक्षोें द्वारा स्वागत किया गया। तत्पष्चात् महाराजा गजसिंहजी द्वारा इतिहास विभाग में स्थापित राव चन्द्रसेन शोधपीठ का अवलोकन किया गया। इसके बाद राजस्थानी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. गजेसिंह राजपुरोहित और विद्यार्थियों द्वारा राजस्थानी विभाग में भावपूर्ण स्वागत व सत्कार किया गया। राजस्थानी विभाग का अवलोकन भी महाराजा गजसिंहजी द्वारा किया गया।
स्वर्ण जयन्ती सभागार में आयोजित कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों द्वारा राव चन्द्रसेनजी को माँ सरस्वती की तस्वीर के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलन कर पुष्पांजलि अर्पित की गई। तत्पष्चात् आयोजकों द्वारा अतिथियों का माल्यार्पण द्वारा स्वागत किया गया।

इतिहास, साहित्य, संस्कृति के अवदान में मारवाड़ के शासकों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा : प्रो. (डॉ.) सुशीला शक्तावत

राव चन्द्रसेन शोधपीठ-इतिहास विभाग की निदेषक प्रो. (डॉ.) सुशीला शक्तावत ने अपने स्वागत उद्बोधन में सभी अतिथियों का स्वागत किया और कहा कि इतिहास, साहित्य, संस्कृति के अवदान में मारवाड़ के शासकों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने राव चन्द्रसेन शोधपीठ के द्वारा करवाये जा रहे कार्यों पर प्रकाष डाला और कहा कि शोधपीठ के माध्यम से क्षेत्रीय पाठ्यक्रम को बढ़ावा दिया जायेगा। शोधपीठ द्वारा दो नये पाठ्यक्रम प्रारम्भ किये गये हैं और शोध पीठ द्वारा निरन्तर व्याख्यानमाला, संगोष्ठियों और पत्रिकाओं का प्रकाषन किया जायेगा।
इस अवसर पर राव चन्द्रसेन पर आयोजित प्रश्नोतरी प्रतियोगिता में भाग लेकर प्रथम व द्वितीय स्थान पर आने वाले प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र व स्मृति चिह्न महाराजा श्री गजसिंहजी द्वारा प्रदान किये गये। महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाष शोध केन्द्र के सहायक निदेषक डॉ. महेन्द्रसिंह तंवर ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

यह रहे उपस्थित

कार्यक्रम में प्रो. एफ.के. कपिल, डॉ. एस.पी. व्यास, पूर्व विधायक जालम सिंह रावलोत , कर्नल मनोहरसिंह कोरणा, करणवीरसिंह भाद्राजून, शंकरसिंह शेखावत, प्रो. रामसिंह हाडा, प्रो. मदन मोहन, प्रो. कमलसिंह राठौड़, प्रो. अवतारीलाल मीणा, प्रो. ज्ञानसिंह शेखावत, , प्रो. के.एल. माथुर, प्रो. अरविन्द परिहार, प्रो. एस.एस. बैस, , डॉ. गजेसिंह राजपुरोहित, डॉ. विनिता परिहार, डॉ. दिनेष राठी, डॉ. भरत देवड़ा, भगवानसिंह राजपुरोहित, डॉ. रष्मि मीणा, डॉ. प्रतिभा सांखला, डॉ. महेन्द्र पुरोहित, डॉ. भवानीसिंह राजपुरोहित, प्रो. रीतु जौहरी, प्रो. कान्ता कटारिया, डॉ. यादराम मीणा, डॉ. हेमलता जोषी, राजेन्द्र सिंह लीलिया, दुगार्दास गंठिया , शिवमंगल सिंह ,डॉ. शक्तिसिंह खाखड़की, डॉ. दिलीप कुमार नाथाणी, महेन्द्र चांपावत, घनष्याम सिंह के साथ ही विष्वविद्यालय के सहायक आचार्य, शोधार्थी,विद्यार्थी व हनवन्त हॉस्टल के विद्यार्थी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. ललित कुमार पंवार ने किया।

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