बहादुर सिंह चौहान
(संपादक)
राजस्व मामलों में सामने आई बड़ी जालसाजी
प्रदेश के पाली जिले में कार्यरत रीडर एक की अनोखी करतूत सामने आई है। वह आईएएस के फर्जी हस्ताक्षर कर रेवन्यू मामलों में बड़ी जालसाजी कर रहा था। आखिर उसे ऐसी क्या जरूरत आन पड़ी कि रेवन्यू जैसे मामलों में जाली हस्ताक्षर कर रहा था। किसे फायदा पहुंचा रहा था… यह तो पूरी जांच होने के बाद ही पता चल सकेगा। पाली जिले में कार्यरत रीडर पिछले चार सालों से इस तरह की जालसाजी कर रहा था। पाली जिले के तत्कालीन कलक्टर नमित मेहता के सामने नामांतकरण संशोधन संबंधी मामले में स्वयं के फर्जी हस्ताक्षर देखकर वो भी चौंक गए। उन्होंने पूरी जांच-पड़ताल करवाई तब यह रीडर मूलसिंह भाटी की करतूत सामने आई। उन्होंने मूल फाइल देखी तो पता चला हस्ताक्षर फर्जी थे। जांच-पड़ताल करने पर पता चला कि यह करतूत सहायक प्रशासनिक अधिकारी मूलङ्क्षसह भाटी की है जिसने फर्जी हस्ताक्षर किए। उन्होंने पाली कोतवाली थाने में रीडर के खिलाफ मामले दर्ज कराए हैं। एफआईआर में कई फाइलों की ऑर्डरशीट और आदेश में फर्जीवाड़ा किए जाने की जानकारी दर्ज करवाई। इसके बाद पूर्व में पाली में उपखंड अधिकारी रहे उत्सव कौशल व देशलदान ने भी अपने कार्यकाल के दौरान के रिकॉर्ड खंगाले। उन्होंने भी अपने कार्यकाल के दौरान हुए कार्योँ की जांच करवाई तब पता चला उनके भी फर्जी हस्ताक्षर किए हुए थे। ब्यावर कलक्टर उत्सव कौशल ने भी मामला दर्ज करवाया। वे भी 9 जुलाई 2020 से 13 अप्रेल 2021 तक पाली उपखंड अधिकारी के रूप मे ंसेवारत थे। इसी तरह नगर निगम आयुक्त अजमेर देशलदान के नाम से भी कई फर्जी आदेश जारी हुए थे। वो भी अप्रेल २०२१ से लेकर जनवरी २०२२ तक उपखण्ड अधिकारी रह चुके थे। उनके हस्ताक्षर भी भरण-पोषण संबंधी फाइलों में उनके फर्जी हस्ताक्षर किए हुए थे। सवाल यह उठता है कि जब रीडर इस रेवन्यू संबंधित मामलों में फर्जी हस्ताक्षर कर रहा था तो किसी ने भी इस मामले को नहीं पकड़ा… आखिर क्यों? राजस्व के इतने गंभीर मामलों की फाइल पर वह इतनी आसानी से फर्जी हस्ताक्षर करके किसको फायदा पहुंचाया। जब कार्रवाई की सभी परते खुलेंगी तब और भी कई मामले सामने आएंगे। आखिर वो रीडर किसके कहने पर यह सब कर रहा था। यह रीडर कलक्टर के पास कार्यरत होने से पूर्व २०२० और २०२२ में उपखंड कार्यालय में कार्यरत था। वहां भी इसकी करतूत को किसी ने नहीं पकड़ा। आखिर इस संगीन जुर्म में और कौन-कौन जुड़े हुए है। यह तो ज्यों-ज्यों जांच आगे बढ़ेगी तब ही पता चल पाएगा। यह तो भला हो तत्कालीन कलक्टर नमित मेहता का जिसने हर फाइल का निस्तारण वह स्वयं करता था। तब जाकर रीडर की करतूत का पता चला। अगर तत्कालीन कलक्टर के फर्जी हस्ताक्षर संबंधी यह मामला पकड़ में नहीं आता तो वो रीडर आगे भी कई रेवन्यू मामलों में और जालसाजी करता।
