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भीनमाल (माणकमल भंडारी)। शहर के श्रीमाल नगर स्थित हरिसिंह सोलंकी की कोटड़ी में आखातीज (अक्षय तृतीया) पर्व पर सकुन देखें गये। मीडिया प्रभारी माणकमल भंडारी ने बताया कि अक्षय तृतीया पर परम्परागत तरीके से शगुन देखने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है। सुबह से ही शहरवासियों का कोटडी में आना शुरू हुआ । सबसे पहले गणेश की तस्वीर के समक्ष दीप प्रज्वलित किया गया। बाद में सात तरह के अनाज के शगुन देखें गए और मिट्टी के चार कुल्हड़ ( कोठी ) बनाए गए । उनको चार महीनों के नाम दिए गए। जेठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, जिसमें पानी भरा गया। कुल्हड़ में पानी भरते ही चारों कुल्हड़ जल्दी टूटने लगें। जिससे अनुमान लगाया गया की आगामी जमाने के अच्छे संकेत मिले हैं । इसके बाद दो बालकों के हाथ के बगल में काल व सुकाल की दो संकेत चिन्ह बांस की लकड़ी पर लगाये गये । बांस की लकड़ी को आपस में टकराया गया। इसके बाद अच्छे जमाने सुकाल संकेत ऊपर पहुंचा। जिससे अनुमान लगाया जाता है कि इस वर्ष अच्छी बारिश होने का संकेत है। इस मौके पर नारायणसिंह सोलंकी, हरिसिंह, जबरसिंह, हडमतसिंह, कालुसिंह, जीवसिंह, मंगलसिंह, छैलसिंह, गंगासिंह, सुरमसिह, उत्तमसिंह, नरेन्द्रसिंह, महेंद्रसिंह, जनकसिंह, लालाराम देवासी, करणाराम, भोमाराम, जबराराम सुथार, आसुराम माली, नरेंद्र त्रिवेदी, विक्रमसिंह, राजपालसिंह, अबु खां मिरासी सहित कई लोग मौजूद थे।
