पांच दिवसीय प्रवास के अंतिम दिन श्रद्धालुओं की अनेक प्रस्तुतियां
छत्रपति संभाजीनगर (महाराष्ट्र) रमेश भट्ट। युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी का पांच दिवसीय संभाजीनगर प्रवास क्षेत्र वासियों के लिए किसी आध्यात्मिक उत्सव से कम नहीं है। एक ओर जहां विविध कार्यक्रमों द्वारा श्रद्धालुओं को अध्यात्म, धर्म से स्वयं को भावित करने का अवसर मिल रहा है वहीं आचार्य श्री के दर्शन, सेवा–उपासना के लिए निरंतर भक्तों का तांता लगा हुआ है। चाहे सूर्योदय से पूर्व वृहद मंगलपाठ हो, या मुख्य प्रवचन कार्यक्रम। मध्यान्ह में सेवा, चर्चा करता हो या रात्रि में प्रतिक्रमण, अर्हत वंदना। हर उपक्रम का श्रद्धालु जन उत्साह के साथ लाभ उठा रहे है। रात्रि में चरण स्पर्श के समय भी लोगों की लंबी कतार प्रवास स्थल से भी बाहर तक चली जाती है। आचार्यश्री के सान्निध्य से सकल समाज लाभान्वित हो रहा है और इस प्रवास का पूरा लाभ उठा रहा है।
इसी कड़ी में आज प्रेसिडेंट बैंक्वेट में आचार्य श्री महाश्रमण जी के दर्शन हेतु राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा आशिर्वाद ग्रहण करने पहुंचे। आचार्य श्री से चर्चा कर उन्होंने सभा में अपने विचार भी रखे एवं जैन विश्व भारती लाडनूं द्वारा प्रकाशित नवीन कृति ‘जैन योग’ आचार्य श्री को भेंट कर लोकार्पित की। इस अवसर भाजपा राष्ट्रीय सचिव श्रीमती विजयताई राहतकर, महाराष्ट्र सरकार के कैबिनेट मंत्री श्री अतुल सावे, भाजपा प्रदेश महामंत्री श्री संजय केनेकर, भाजपा युवामोर्चा प्रदेश सचिव श्री पंकज सांखला आदि गणमान्य उपस्थित रहे।
मंगल प्रवचन में आचार्य श्री ने कहा – समय को तीन भागों में विभक्त किया जा सकता है, अतीत, वर्तमान व भविष्य। समय की लघुतम इकाई इतनी छोटी होती है कि पलक झपकते ही असंख्य समय बीत जाता है। जो बीत गया वह तो बीत गया लेकिन हमारा वर्तमान व भविष्य अच्छा व उपयोगी बने, इस पर हमें ध्यान देना है। आलस्य के कारण अच्छे व कल्याणकारी कार्य लम्बित नहीं होने चाहिए। उठ गए हो, अब प्रमाद मत करो। व्यक्ति आगे का सोचता है, लेकिन कल का विचार तीन व्यक्ति ही कर सकते है पहला जिसकी मौत के साथ मित्रता हो जाए। दूसरा कोई इतना तेज दौड़ने वाला हो कि मौत भी उसे पकड़ ना सके और तीसरा जो अमर हो, कभी न मरने वाला हो। ये तीनों ही बाते मुमकिन नहीं है। देवों की आशातना न हो पर अमर तो वे भी नहीं होते। इसलिए कल पर भरोसा नहीं करना चाहिए। मृत्यु का होना निश्चित है, लेकिन कब यह कोई नहीं जानता।
गुरुदेव ने आगे कहा कि वह समय धन्य होगा, जब हम सिद्धावस्था अर्थात मोक्ष को प्राप्त करेंगे और सिद्धावस्था को प्राप्त करने के लिए हमें पहले शुद्धावस्था को प्राप्त करना होगा। सम्यक ज्ञान, दर्शन व चारित्र की आराधना करनी होगी। व्यक्ति का जीवन बढ़िया बनें उसके लिए हमारा समय भी बढ़िया बने। जब समय बढ़िया होगा तो व्यक्ति भी बढ़िया बन सकेगा।
प्रसंगवश आचार्य श्री ने प्रेरणा देते हुए कहा कि राजनीति सेवा का बड़ा साधन है। राजनीति में सेवा करना हर किसी के वश की बात नहीं होती। राजनीति में भी अहिंसा, नैतिकता, सह अस्तित्व वाद जैसे मूल्य भी जुड़े रहे तो राजनीति में शुद्धता रह सकती है। मुख्यमंत्री भजनलाल जी ने कहा कि मेरे लिए सौभाग्य की बात है की आचार्य श्री राजस्थान के सरदारशहर से है। मैं आज के मौके पर आचार्य तुलसी जी को भी प्रणाम करता हूं। साधु संतों ने हमेशा रास्ता दिखाने का कार्य किया है। राष्ट्र को मजबूत बनाने का कार्य किया है। हमेशा आपने समाज को दिशा दी है। आप एक सच्चे समाज का निर्माण रहे है।
अभिव्यक्ति के क्रम में मुनि चिन्मय कुमार जी ने वक्तव्य दिया। तेरापंथ सभा संभाजीनगर के अध्यक्ष श्री कौशिक सुराणा, अणुव्रत समिति से श्रीमती रूपा धोका, तेरापंथ युवक परिषद अध्यक्ष श्री अंकुर जैन ने अपने विचार रखे। तेरापंथ युवक परिषद, तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम, तेरापंथ महिला मंडल, तेरापंथ किशोर मंडल, तेरापंथ कन्या मंडल के सदस्यों व ज्ञानशाला के बच्चों ने पृथक पृथक सामूहिक प्रस्तुति दी।
