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कश्मीर में मतदान की लंबी कतारें बयां करते हैं वहां के खुशनुमा हालात

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अशोक भाटिया

वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार ,लेखक,  एवं टिप्पणीकार

जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर लोकसभा क्षेत्र में सोमवार सुबह सात बजे से वोटिंग शुरू हो चुकी है। श्रीनगर शहर के पुराने शहर क्षेत्र सहित कई मतदान केंद्रों पर लोगों की लंबी कतारें लगी हैं। आसमान में बादल छाए रहने के बावजूद पुलवामा, कंगन, गांदरबल, बडगाम और पंपोर इलाकों में बड़ी संख्या में मतदाता वोट डालने के लिए निकले हैं। वर्ष 1987 के बाद कश्मीर में यह पहला चुनाव है जब अलगाववादियों ने चुनाव बहिष्कार का आह्वान नहीं किया है। यहां तक कि घाटी में अलगाववादी भावनाओं का केंद्र माने जाने वाले श्रीनगर के पुराने शहर इलाके में भी मतदाता बिना किसी डर के वोट डालने के लिए निकले हैं। वहीं आर्टिकल 370 हटने के बाद यह पहला चुनाव है। निर्वाचन क्षेत्र में 17.48 लाख मतदाता हैं, जिनमें श्रीनगर, गांदरबल और पुलवामा जिले और बडगाम और शोपियां जिले के कुछ हिस्से शामिल हैं। अधिकारियों ने पांच जिलों में 2,135 मतदान केंद्र बनाए हैं। मतदाताओं की सुविधा के लिए मतदाता पहचान पत्र के अलावा 12 तरह के दस्तावेज दिखाकर लोग मतदान कर सकते हैं। मतदाता पहचान पत्र मतदान के लिए अनिवार्य नहीं है। यदि किसी मतदाता के पास मतदाता पहचान पत्र नहीं है तो वह मतदान केंद्र पर आधार कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड, बैंक-पोस्ट ऑफिस के पासबुक, स्वास्थ्य बीमा स्मार्ट कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, पासपोर्ट, पेंशन दस्तावेज, सेवा प्रदाता कंपनी का कार्ड, दिव्यांग कार्ड आदि दिखाकर मतदान कर सकता है।

केंद्र शासित प्रदेश के कश्मीर डिवीजन के प्रवासी मतदाताओं के लिए विशेष मतदान केंद्र स्थापित किए गए हैं, जिनमें जम्मू में 21, दिल्ली में 4 और उधमपुर जिले में एक मतदान केंद्र शामिल है। बता दें कि वोटिंग शाम 6 बजे खत्म होगी और उम्मीद है उस समय तक माहौल यही बना रहेगा । INDIA ब्लॉक के सहयोगी दल नेशनल कॉन्फ्रेंस ने प्रभावशाली शिया नेता और पूर्व मंत्री आगा रूहुल्लाह मेहदी को इस लोकसभा सीट से मैदान में उतारा है, जबकि पीडीपी ने अपने युवा अध्यक्ष वहीद पारा को अपना उम्मीदवार बनाया है।’अपनी पार्टी’ ने मोहम्मद अशरफ मीर को और डीपीएपी ने अमीर अहमद भट को मैदान में उतारा है। दो महिलाओं सहित 20 अन्य लोग भी चुनावी मैदान में हैं। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर के बडगाम में जीएमएस हांजी गुंड मतदान केंद्र और बूथ संख्या 60 पर कड़ी सुरक्षा के बीच मतदान शुरू हुआ। इस सीट से नेशनल कॉन्फ्रेंस के आगा सैयद रूहुल्लाह मेहदी, पीडीपी के वहीद उर रहमान पारा और अपनी पार्टी के मोहम्मद अशरफ मीर लोकसभा चुनाव 2024 लड़ रहे हैं।श्रीनगर लोकसभा सीट पर मतदान करने आए नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने मीडिया  से बातचीत में कहा कि जम्हूरियत (लोकतंत्र) में मतदान करना ही एक तरीका है, जिससे हम अपनी आवाज बुलंद कर सकें। मैं यही कहूंगा कि अगर नेशनल कॉन्फ्रेंस के उम्मीदवार जीतेंगे।

भाजपा  ने श्रीनगर और घाटी की अन्य दो लोकसभा सीटों बारामूला और अनंतनाग-राजौरी में कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला ने 2019 में इस सीट से जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार उन्होंने इस सीट से अपना नाम वापस ले लिया। 2019 के चुनावों में कम भागीदारी देखी गई। भाजपा भले ही कश्मीर की तीन लोकसभा सीटों में से किसी पर भी चुनाव नहीं लड़ रही हो, लेकिन पार्टी को विश्वास है कि घाटी में होने वाले चुनाव इस क्षेत्र में नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के वर्चस्व को समाप्त कर देंगे। इंडिया गठबंधन का हिस्सा नेशनल कॉन्फ्रेंस ने प्रभावशाली शिया नेता और पूर्व मंत्री आगा रुहुल्लाह मेहदी को मैदान में उतारा है, जबकि पीडीपी ने अपनी युवा इकाई के अध्यक्ष वाहिद पारा को उम्मीदवार बनाया है।

 कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद की सियासत में रुचि रखने वाले अच्छी तरह से जानते हैं कि 2010 से 2020 तक अगर पुलवामा जिला पूरे कश्मीर में आतंकी हिंसा का गढ़ था तो काकपोरा उस गढ़ की धड़कन। काकपोरा में आए दिन सुरक्षाबलों और आतंकियों में मुठभेड़ या फिर आतिकयों व अलगाववादियों के समर्थकों की सुरक्षाबलों के साथ हिंसक झढ़पें। बताया जाता है कि काकपोरा मुख्य चौराहे पर सुबह 11 बजे गाड़ियों की लंबी कतार है। चौक पर एक दुकान के बाहर भीड़ है, जो श्रीनगर संसदीय सीट से चुनाव लड़ रहे पीडीपी उम्मीदवार वहीद उर रहमान परा को सुन रही है। परा ने अपनी बात की और आगे बढ़ गए। थोड़ी देर में जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के समर्थक अपनी गाड़ियों में गुजरे। वे बाजार में खड़े लोगों को बैट दिखाते हुए गए। उनके जाने के बाद वहां कई लोग आपस में चुनाव को लेकर चर्चा करने लगे।

कई अपने काम-धंधे में व्यस्त हो गए। चौराहे पर बेकरी की दुकान चला रहे रईस अहमद ने एक ग्राहक से राजनीतिक रैलियों की तरफ इशारा करते हुए कहा कि वाकई यहां सब कुछ बदल गया है। पांच वर्ष पहले तक मैं यहां ऐसा माहौल सोच भी नहीं सकता था। यहां चुनावी रैली करना तो दूर, चुनाव का नाम लेना असंभव था। अब यहां न कोई डरता है, न कोई डराता है, बस अब सब अपनी जिंदगी का खुद फैसला कर रहे हैं। मीडिया से आ रही खबरों के अनुसार काकपोरा से तीन किलोमीटर दूर गुंडीबाग का नाम ही काफी है। यह गांव 14 फरवरी, 2019 को उस समय चर्चा में आया था, जब गांव से करीब 20 किलोमीटर दूर लेथपोरा में सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकी हमला हुआ था। हमले को अंजाम देने वाला जैश आतंकी आदिल डार इसी गांव का था। गांव के बाहरी मुहाने पर स्थित आदिल के घर में उसके दो भाई और माता-पिता रहते हैं, लेकिन कोई गहमा-गहमी नहीं है। उसके पड़ोसी एजाज अहमद ने कहा कि आप क्यों उन्हें कुरेदने की कोशिश कर रहे हो। जो होना था, हो गया। अब आगे की बात करो। प्रिंटिंग प्रेस चलाने वाले एजाज अहमद ने कहा कि आज हमारे गांव में एक भी आतंकी नहीं है, पहले कभी थे। कुछ लड़के जरूर जेल में हैं, लेकिन वह जब छूटेंगे तो मुझे नहीं लगता कि वह दोबारा बंदूक उठाएंगे, क्योंकि यहां अब सब बदल गया है।

गांव की बाहरी सड़क पर चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियो को लेकर कुछ युवकों की बुजुर्गों के साथ बहस हो रही है। तजम्मुल नामक युवक ने कहा कि यहां क्या बहस कर रहे हो, मैं भी संगबाज था। अगर यहां कोई वोट डालने निकलता तो उसकी खैर नहीं होती थी, लेकिन इस बार यहां वोटिंग खूब होगी। उसकी यह बात सुनकर जब उससे पूछा कि वोटिग क्यों होगी तो उसने कहा कि जो सरकार ने किया, वह किसी ने नहीं। यहां अब हर किसान के खाते में पैसा आते हैं। कारोबार शुरू करने के लिए बैंक से अब आसानी से कर्ज मिलता है। कोई पटवारी अब हमारी जमीन में हेरा-फेरी नहीं कर सकता। दोपहर एक  बजे पुलवामा के बाजार में खूब चहल-पहल है। बस स्टैंड पर गाड़ियों की आवाजाही जारी है। पुलिस व सीआरपीएफ के जवानों की तादाद पहले की तरह नहीं है। कोई तनाव भी नहीं है। हाजी अब्दुल रशीद कहते हैं कि आपको पता है कि हमारे कश्मीर में एक हिरण होता है, जिसके पेट में खुशबु होती है, वह खुशबू की तलाश में भागता रहता है। वही हाल हम कश्मीरियों का था। अब यहां सभी को पता चल गया है कि जिस खुशबू और खुशहाली की तलाश हमें थी, वह यहीं पर है। वह आगे कहते हैं कि आज आप हमारे पुलवामा में स्टेडियम देखो। कालेज देखो। आप पुलवामा को कश्मीर का आनंद कह सकते हो। दूध का सबसे ज्यादा उत्पादन यहीं पर हो रहा है। यहां रिंग रोड बन रहा है। लस्सपोरा में नई फैक्ट्रियां खुल रही हैं। बिजली का बिल परेशान जरूर करता है। बेरोजगारी भी है, लेकिन अब नाउम्मीदी नहीं है। न अब बूढ़े कंधों पर अपने बच्चों के जनाजे के बोझ का डर। इसलिए अब यहां कोई किसी गैरकश्मीरी को देखकर हिचकता नहीं है। उससे बात करता है।

भाजपा नेता आफताब अहमद यत्तु ने कहा कि आपको हमारी बात पर यकीन नहीं आएगा। आप यहां से गुजरने वाले युवकों से बात करें तो आपको असलियत पता चलेगी। इसी दौरान वहां कुछ लोग जमा हो गए, जिनमें कुछ अधेड़ भी थे। एक ने अपना नाम बताने से इन्कार करते हुए कहा कि यहां जो हो रहा है, वह सब पांच अगस्त का नतीजा है। उसकी हां में हां मिलाते हुए वहां खड़े अन्य युवक एक-दूसरे की बात काटते हुए बोले कि यहां अब ड्रग्स के खिलाफ कार्रवाई हो रही है। वह कहते हैं कि अब यहां अफीम की खेती पर लगाम लग रही है। पहले यहां क्या था, अफीम की खेती और आजादी के नारे के साथ बंदूक या पत्थर। पहले यहां बंदूक उठाने की बात होती थी, अब बैलेट से अपने मसले को हल करने की बात होती है। हम भाजपा के समर्थक नहीं हैं, लेकिन खुलकर बात कर रहे हैं तो उसके लिए हम प्रधानमंत्री के शुक्रगुजार जरूर हैं। यहां जो तरक्की की उम्मीद जगी है, वह उन्होंने ही जगाई है। हम वोट जरूर देंगे।

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