मधुहीर राजस्थान
जोधपुर। वन विभाग वन्यजीव द्वारा दो साल बाद जिले के वन्यजीवों की गणना गुरुवार सुबह आठ बजे शुरू की गई जो शुक्रवार सुबह आठ बजे तक की जाएगी। इसमें जिले के लूणी, गुड़ा विश्नोइयां, धवा, खेजड़ली, डांगियावास सहित आसपास के 23 स्थानों पर गणना की जा रही है। इसके अलावा जोधपुर ग्रामीण व फलोदी जिले में भी अलग से गणना की जा रही है। वाटर होल्ड पद्धति पर की जा रही इस वन्यजीव गणना में कुछ स्थानों पर सीसीटीवी कैमरों का भी उपयोग किया गया। इसके अलावा कुछेक जगहों पर मचान भी लगाए गए है। वन्यजीव गणना के लिए 60 कर्मचारियों को माचिया सफारी पार्क में स्पेशल ट्रेनिंग भी दी गई है। दरअसल पिछले साल पांच मई को राज्य के अधिकतर भागों में अंधड़ और बारिश के कारण वन्यजीव गणना नहीं हो पाई थी। ऐसे में इस बार गणना की जा रही है। जिले में वन्यजीवों की गणना के पंद्रह दिन के भीतर यह आंकड़े वन विभाग के मुख्यालय जाएंगे, जहां पर प्रदेशभर में होने वाली वन्यजीव गणना के आंकड़ों के साथ शामिल होंगे। इस गणना में वन विभाग द्वारा वन्यजीवों के लिए काम करने वाले एनजीओ का सहयोग और वन्यजीव प्रेमियों का भी सहयोग लिया जा रहा है। यह गणना आज सुबह आठ बजे शुरू हो गई जो शुक्रवार को सुबह 8 बजे तक चलेगी। इस दौरान वनकर्मियों को चना-गुड़, टॉर्च, कैप, डंडा आदि दिए गए है। उपवन संरक्षक वन्यजीव सरिता चौधरी ने बताया कि कोरोना के बाद गत वर्ष खराब मौसम के कारण वन्यजीव गणना नहीं हो पाई थी, लेकिन इस बार वन्यजीवों की गिनती से पहले वनकर्मियों को ट्रेनिंग दी गई है। यह गणना चौबीस घंटे की अवधि के लिए चलेगी। इस दौरान हिरण, ब्लैक बग, लोमड़ी, मरू लोमड़ी, मरू बिल्ली, सेही, लकड़बग्घा, खरगोश, सरीसृप की विभिन्न प्रजातियों, रोजड़े सहित विभिन्न वन्यजीवों की गणना की जाएगी। गांव-ढाणियों, जंगल-पहाड़ों में बने नाडी-तालाब, झीलों सहित अन्य छोटे-बड़े जलस्स्रोतों में दिन और रात के समय पानी पीने के लिए आने वाले वन्यजीवों की गणना वाटर होल्ड पद्धति से की जा रही है। जहां वन्यजीवों के अधिक संख्या के आने के आसार है। वहां सीसीटीवी कैमरा ट्रेसर भी लगाए गए है।
