मधुहीर राजस्थान
जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने अनुकम्पा नियुक्ति देने के आदेश हुए साढ़े छह साल बीतने के बावजूद भी राज्य सरकार एक विधवा महिला को अनुकंपा नियुक्ति देने में आनाकानी करने पर निर्णय की अक्षरश: पालना कर पालना रिपोर्ट पेश करने अन्यथा 15 जुलाई को प्रमुख शासन सचिव चिकित्सा विभाग कोर्ट में हाज़िर होने निर्देश जारी किए है। याची की ओर से अधिवक्ता यशपाल खिलेरी औऱ सुश्री सुषमा ने पैरवी की। अनुकंपा नियुक्ति देने के आदेश होने के बाद भी नियुक्ति नहीं देने पर वर्ष 2018 में अवमानना याचिका पेश की गई थी। राजस्थान हाइकोर्ट के न्यायाधीश रेखा बोराणा की एकलपीठ ने अनिता गोस्वामी की अवमानना याचिका पर अंतरिम अहम आदेश दिया है।
सिरोही निवासी याचिकाकर्ता अनिता गोस्वामी की ओर से अधिवक्ता यशपाल खिलेरी और सुश्री सुषमा ने रिट याचिका दायर कर बताया था कि याची के पति श्री अनिल नर्स पद पर वर्ष 2007 में समस्त नियमित प्रक्रिया पूर्ण कर नियुक्त होकर लगातार वर्ष 2014 तक नियमित ड्यूटी करते रहे।
30 सितंबर 2015 को उनका असामयिक निधन हो जाने पर उनकी धर्मपत्नी याची अनिता गोस्वामी ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए नियमानुसार आवेदन किया, क्योंकि पति के देहांत पश्चात उनके पीछे याची और उसकी एक नाबालिग़ 3 वर्षीय पुत्री ही आश्रित शेष रही थी। राजस्थान हाइकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश डॉ पुष्पेंद्र सिंह भाटी की एकलपीठ ने 17 जनवरी 2018 को याची बेवा की रिट याचिका स्वीकार कर तीन माह में अनुकंपा नियुक्ति देने का महत्वपूर्ण निर्णय दिया। तीन महीने बीत जाने के बावजूद भी पालना नहीं करने पर याची ने वर्ष 2018 में अवमानना याचिका दायर कर अनुकंपा नियुक्ति दिलाने की गुहार लगाई। अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान वर्ष 2018 में पालना रिपोर्ट पेश करने के लिए राज्य सरकार को समय दिया गया लेकिन कोई पालना नहीं हुई।। बाद में कोरोना इत्यादि आ जाने से अवमानना याचिका की सुनवाई में देरी होती रही।
गत 13 मई 2024 को सुनवाई होने पर हाइकोर्ट न्यायाधीश ने वर्ष 2018 से अनुकंपा नियुक्ति का आदेश दिए जाने हेतु राजकीय अधिवक्ता को निर्देशित किया गया।। लेकिन अगली पेशी 27 मई 2024 को राज्य सरकार की ओर से जवाब पेश कर बताया गया कि याची की नियुक्ति दिनाँक 07.10.2023 को महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता के अस्थायी पद पर हो चुकी हैं और ऐसे में कोर्ट के आदेश की पूर्ण पालना हो चुकी है। जिस पर न्यायालय ने ऐसे गंभीर मानते हुए कहा कि यद्यपि राज्य सरकार की ओर से दायर जवाब गलत है क्योंकि 07.10.2023 के आदेश के तहत याचिकाकर्ता को अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति आज दिन तक नहीं दी गई है, बल्कि स्वयं औऱ अपनी नाबालिग बच्ची के भूखे मरने की नौबत आने पर उसने अपनी योग्यता अनुसार अस्थाई नौकरी जॉइन की है। जिसे राज्य सरकार द्वारा अनुकं पा नियुक्ति बताकर केस ख़ारिज करने पर आमादा है। राज्य सरकार की ओर से जवाब पेश कर बताया गया कि याची को जो अस्थायी नियुक्ति की गई है वहीं अनुकम्पा नियुक्ति है और अवमानना याचिका ख़ारिज करने की प्रार्थना की गई।
