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शरीर में पोषण देने वाले डिस्ट्रिब्यूशन चैनल ही है शरीर में स्रोतस – प्रोफेसर (वैद्य) खाण्डल

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मधुहीर राजस्थान

जोधपुर। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन् राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर (वैद्य) प्रदीप कुमार प्रजापति की प्रेरणा से विवि के मानव संसाधन विकास केंद्र के द्वारा एक मासिक विशिष्ट प्रशिक्षण कार्यक्रम” के अंतर्गत अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया। सी एच आर डी के निदेशक डॉ. राकेश कुमार शर्मा ने बताया कि प्रथम सत्र में राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी के सेवानिवृत प्रोफ़ेसर एवं आरोग्य लक्ष्मी आयुर्वेद चिकित्सा केन्द्र, जयपुर के निदेशक प्रोफेसर श्रीकृष्ण शर्मा खाण्डल ने “स्रोतस-पैथोफिजियोलॉजिकल दृष्टिकोण” विषय पर व्याख्यान दिया। प्रोफ़ेसर शर्मा ने बताया की स्रोतस आयुर्वेद में शरीर के अंदर और बाहर के विभिन्न मार्गों को संदर्भित करता है, जो पदार्थों के परिवहन के लिए जिम्मेदार होते हैं। ये स्रोतस शरीर की संरचनात्मक और कार्यात्मक इकाइयाँ हैं जो पोषक तत्वों, अपशिष्ट पदार्थों और ऊर्जा के परिवहन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। स्रोतस के विकार के बारे में बताते हुए कहा कि अनुचित आहार, अनुचित जीवन शैली एवं मानसिक तनाव, चिंता, क्रोध आदि कारणों से स्रोतस में विकार होते हैं। आयुर्वेद के मूलभूत सिद्धान्तों के अनुसार रोग का निदान एवं चिकित्सा करनी चाहिए। रोगों के निदान एवं चिकित्सा में स्रोतस महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

शरीर में पोषण देने वाले डिस्ट्रिब्यूशन चैनल ही शरीर में स्रोतस है। इन स्रोतस के द्वारा बायोलॉजिकल, साईकोलॉजिकल, स्प्रिच्युअल एनर्जी मिलती है। शरीर में होने वाले रोग स्रोतस के अंदर अवरोध, अतिरेक एवं क्षय के कारण होते हैं। उन्होंने प्राणवह स्रोतस, अन्नवह स्रोतस जैसे सभी स्रोतस के बारे में विस्तार से बताया। दूसरे सत्र में प्रोफेसर शर्मा ने “रोग की अभिव्यक्ति में अग्नि का महत्व” विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि मानव शरीर में अग्नि (पाचन अग्नि) का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। आयुर्वेद के अनुसार, अग्नि न केवल भोजन को पचाने का कार्य करती है, बल्कि यह स्वास्थ्य और रोग दोनों की उत्पत्ति में भी प्रमुख भूमिका निभाती है। यह अग्नि शरीर में पाचन क्रिया, आहार रस का निर्माण, धातुओ का निर्माण आदि महत्वपूर्ण कार्य करती है । मंदाग्नि, तीक्ष्णाग्नि एवं विषमाग्नि आदि रोगों के कारण होते हैं। सत्र के प्रारम्भ में कुलपति प्रोफेसर (वैद्य) प्रदीप कुमार प्रजापति ने प्रोफेसर खाण्डल का साफा पहनाकर पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत अभिनन्दन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि प्रोफेसर खाण्डल द्वारा स्रोतस एवं अग्नि विषयक विशिष्ट व्याख्यान स्नातकोत्तर छात्रों एवं संकाय सदस्यों के लिये चिकित्सा में सफलता प्राप्त करने के लिये उपयोगी रहेगा। स्रोतस एवं अग्नि के अध्ययन के बिना चिकित्सा में सफलता प्राप्त नहीं की जा सकती है। इस अवसर पर कुलसचिव प्रो. गोविंद सहाय शुक्ल, प्राचार्य प्रो. महेंद्र कुमार शर्मा, रोग एवं विकृति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर गोविन्द प्रसाद गुप्ता, एसोसियेट प्रोफेसर डॉ. अरूण दाधीच सहित सभी विभागाध्यक्ष, संकाय सदस्य, स्नातकोत्तर अध्येता उपस्थित रहे।

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