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सौभाग्य से प्राप्त मानव जीवन का उठाएं लाभ : शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण

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12 कि.मी. का विहार कर आचार्यश्री पहुंचे गारखेड़े गांव जनता को थोड़े लाभ के लिए ज्यादा हानि न उठाने हेतु किया अभिप्रेरित

मधुहीर राजस्थान

गारखेडे, जलगांव (महाराष्ट्र) रमेश भट्ट। जनकल्याण के खान्देश क्षेत्र में गतिमान जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी गुरुवार को जामनेर को आध्यात्मिकता से भावित बना प्रातःकाल की मंगल बेला में गतिमान हुए। जामनेरवासियों ने श्रीचरणों में अपने कृतज्ञ भाव समर्पित किए। आसमान में भले ही बादल छाए थे, किन्तु बरसात होने के बाद वाली उमस लोगों को पसीने से नहला रही थी। जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया, सूर्य भी बादलों को छिन्न-भिन्न कर अपनी तीव्र रश्मियों से मौसम को गर्म बना दिया। लगभग 12 कि.मी. का विहार कर शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी गारखेडे में स्थित यशवंतराव बाजीराव पाटील माध्यमिक विद्यालय में पधारे।

विद्यालय परिसर में उपस्थित जनता को युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि आदमी को थोड़े लाभ के लिए कई बार बहुत हानि उठानी पड़ सकती है। बुद्धिमत्ता इस बात में है कि नुक्सान कम और लाभ ज्यादा हो। गृहस्थ कोई कार्य करता है तो उसमें लाभ का सौदा करना चाहता है। आदमी कोई ऐसा कार्य नहीं करना चाहता, जिसमें उसे हानि उठानी पड़े। कभी-कभी आदमी थोड़े से आराम के लिए सुनहरा अवसर खो देता है। इसलिए आदमी को समय का मूल्यांकन करके, मिले हुए समय का लाभ उठाने का प्रयास करना चाहिए। इसी प्रकार दुर्लभ मानव जीवन चौरासी लाख जीव योनियों के बाद प्राप्त होने वाला है। आदमी को इस मानव जीवन का लाभ उठाने का प्रयास करना चाहिए। जप, तप, सेवा, साधना, धार्मिक उपासना, सामायिक आदि के द्वारा अपने जीवन का लाभ उठाने का प्रयास करना चाहिए। गृहस्थ जीवन में भी भीतरी भावों के उन्नयन और धर्म-साधना के द्वारा अपने अगले भव को संवारने का प्रयास करना चाहिए।

गृहस्थ जीवन के परिवेश में कभी ऐसी परिस्थितियां भी बन सकती है कि परम गति की प्राप्ति हो सकती है। आदमी को समय का बढ़िया उपयोग करने का प्रयास करना चाहिए। सौभाग्य से मिले इस अवसर का लाभ उठाने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने चारित्रात्माओं को अभिप्रेरित करते हुए कहा कि गुरुकुलवास में रहने वाले संतों को मानों एक अवसर मिला है, उसका लाभ उठाने का प्रयास करना चाहिए। वैसे तो जहां गुरु की दृष्टि वहीं सृष्टि, परन्तु गुरुकुलवास के अवसर का अपने ढंग से लाभ उठाने का प्रयास करना चाहिए। गुरु का आगमन भी जिस क्षेत्र में हो जाए, उसका लाभ उठाने का प्रयास करना चाहिए। मंगल प्रवचन के उपरान्त विद्यालय के शिक्षक आदि ने आचार्यश्री के स्वागत में अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति दी।

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