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मधुहीर राजस्थान

देसुरी।मारवाड़ जंक्शन अस्पताल रोड़ सिरवी स्थित किसान छात्रावास के सामने निवास पर सद्गुरु कबीर साहेबजी की जंयती के महोत्सव पर साहेब बंदगी के जयकारा के साथ लक्ष्मणदास वैष्णव ने कहा कि आज ज्यैष्ठ पूर्णिमा को हृदय सम्राट एवं वाणी डिक्टेटर संत शिरोमणि सद्गुरु कबीर साहेब आज 22 जून को [626] वीं जयंती है इस अवसर पर ग्रंथों का गुणगान कर दोहे साखी कहें।
वैष्णव ने कहा कि इस संसार की गति गड़रिये की भेड़ के समान अंधानुकरण करने की है एक भेड़ जिस गड्ढे में गिर जाती है तो उसके पीछे चलने वाली सभी भेड़ उसी गड्ढे में गिर जाती है कोई यह नही सोचता कि इस मार्ग में चलना मृत्यु को आमंत्रण देने के बराबर है भाव यह है कि हम सब देखा-देखी अंधानुकरण के आदि है वही इस काल जाल से बच सकता है जो विवेक का उपयोग कर सदगुरु के शरणागत हो जाता है।
जीवन में मरना भला
जो मरि जानै कोय
मरना पहिले जो मरै
अजय अमर सो होय
भावार्थ- जीते जी ही मरना अच्छा है,, यदि कोई मरना जाने तो मरने के पहले ही जो मर लेता है वह अजर-अमर हो जाता है। शरीर रहते-रहते जिसके समस्त अहंकार समाप्त हो गए, वे वासना-विजयी ही जीवनमुक्त होते हैं।
इससे पूर्व लक्ष्मण वैष्णव ने पुष्प अर्पित कर बीजक पाठ किया एवं परिवार के साथ आरती कर समापन किया गया।इस अवसर पर निर्मला वैष्णव प्रवीण योगेश वैष्णव दिनेश लालजी सहित सभी मौजूद रहे।
