मधुहीर राजस्थान
जोधपुर। सांसी बस्ती, रातानाडा का नाम सुनते ही हमारे मन में एक धुंधली, पिछड़ी और अपराध से जूझती बस्ती की छवि उभर आती है। यह आम धारणा है कि यह क्षेत्र विकास से अछूता है और यहां कोई सकारात्मक बदलाव नहीं हो रहा है। लेकिन, आशा ही जीवन की परिभाषा है, और इसी उम्मीद के साथ इस बस्ती में बदलाव की नई किरणें बिखेरने के प्रयास किए जा रहे हैं।
अजय सांसी ने बताया कि यहां की माताएं और बहनें, जो अब तक कचरा बिनने, घरों में बर्तन धोने और पढ़ाई छोड़ने जैसी मुश्किल भरी जिंदगी जीती आई हैं, उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में जन शिक्षण संस्थान, जोधपुर ने एक महत्वपूर्ण पहल की है। इस पहल के तहत उन्हें 104 दिनों का सिलाई कोर्स करवाया जा रहा है, अंबेडकर सिलाई केंद्र सुमन गोमाणी के द्वारा जिससे वे कौशलयुक्त होकर अपनी जिंदगी को संवार सकें और समाज में सम्मानजनक कार्य करके अपनी पहचान बना सकें।
इस प्रयास को सूरज के सामने दीपक जलाकर रोशनी दिखाने जैसा माना जा सकता है, लेकिन अंधेरे को चीरने के लिए दीपक की रोशनी ही काफी होती है। इसी उम्मीद के साथ, इस बस्ती में यह कार्य बड़े जोर-शोर से चल रहा है। प्रशिक्षण प्राप्त कर रहीं इन महिलाओं की जीवन कहानियां भी संघर्षशील और प्रेरणादायक हैं।
यह पहला 20 का बैच है जो प्रशिक्षण प्राप्त कर यह प्रशस्ति पत्र प्राप्त कर रही है कौशल विकास के अंतर्गत प्रमाणपत्र प्रदान किए जा रहे हैं, जिससे वे इस कार्य को अन्य गतिविधियों के साथ आगे बढ़ा सकें और अपनी जिंदगी को बेहतर बना सकें।
समारोह इस प्रशस्ति पत्र प्रमाण प्रधान कार्यक्रम में में जन शिक्षण संस्थान जोधपुर के निर्देशक उत्तम जी गिरी बताया कि हम आप सभी को उम्मीद का रास्ता बता रहे हैं मजबूती के साथ आप सभी को आगे चलना है आपने जो सीखा है उसको निजी और सार्वजनिक जीवन में उपयोग लाइए जिससे आपको जरुर कामयाबी मिलेगी सार्वजनिक जीवन में सिलाई और अन्य कामों की बहुत जरूरत है बस आपकी गुणवत्ता ही आपको बेहतर स्थान देगी कभी हार नहीं माननी चाहिए और निरंतर प्रयास करना चाहिए। इसी के साथ महेंद्र सिंह पूनिया लक्ष्य गोयल एवं अजय सांसी उपस्थित रहे और आशीर्वाद के रूप में प्रशिक्षित पत्र सभी को प्रदान किया।
