मधुहीर राजस्थान
जयपुर: नये कानून के प्रावधानो के संबंध मे जिला पुलिस अधीक्षक श्री नरेन्द्रसिंह मीना IPS द्वारा जानकारी देते हुए बताया है –
1 जुलाई से लागू तीन नए आपराधिक कानून’- भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) 2023, ब्रिटिश युग के आपराधिक कानूनों की जगह भारत में कानूनी परिदृश्य को नया आकार देंगे
1 जुलाई, 2024 से प्रभावी होने वाले ये नए आपराधिक कानून पहले के आपराधिक कानूनों क्रमशः भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेते हैं। अब भारत में दुनिया में सबसे आधुनिक आपराधिक न्याय प्रणाली लागू हो गई है, जिनमें ’जीरो एफआईआर’, ऑनलाइन पुलिस शिकायत पंजीकरण, एसएमएस जैसे इलेक्ट्रॉनिक तरीकों से समन व जघन्य अपराधों के लिए अपराध स्थलों की अनिवार्य वीडियोग्राफी जैसे प्रावधान शामिल हैं। तीनों नए कानून विधान नागरिकों को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और इसका उद्देश्य सभी के लिए अधिक सुलभ, सहायक और प्रभावी न्याय प्रणाली सुनिश्चित करना है।नए कानूनों ने न केवल प्रौद्योगिकी को अपनाया है बल्कि इसे इस तरह से शामिल किया है कि वे अगले 50 वर्षों में बदलती प्रौद्योगिकी के साथ तालमेल बिठा सकें। इनमें सज़ा की जगह न्याय, देरी की जगह स्पीडी-ट्रायल और शीघ्र-न्याय और पीड़ितों के अधिकारों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है।
नए कानून सभी प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए एक समय सीमा भी निर्धारित करते हैं, जो पूर्ण कार्यान्वयन पर होगी। इन कानून विधानों के तहत अब कोई भी व्यक्ति पुलिस थाने जाए बिना ई-संचार माध्यम से घटनाओं की रिपोर्ट दर्ज करा सकता है। इससे पुलिस द्वारा त्वरित कार्रवाई की जा सकेगी। ’जीरो’ प्राथमिकी से अब कोई भी व्यक्ति किसी भी पुलिस थाने में प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज करा सकता है, चाहे अपराध उसके अधिकार क्षेत्र में न हुआ हो। इससे कानूनी कार्यवाही शुरू करने में होने वाली देरी खत्म होगी। नए कानूनों के तहत पीड़ितों को प्राथमिकी की एक निःशुल्क प्रति दी जाएगी, जिससे कानूनी प्रक्रिया में उनकी भागीदारी सुनिश्चित होगी। नए कानून में जुड़ा एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि गिरफ्तारी की सूरत में व्यक्ति को अपनी पसंद के किसी व्यक्ति को अपनी स्थिति के बारे में सूचित करने का अधिकार दिया गया है। इससे गिरफ्तार व्यक्ति को तुरंत सहयोग मिल सकेगा। गिरफ्तारी विवरण पुलिस थानों और जिला मुख्यालयों में प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाएगा जिससे कि गिरफ्तार व्यक्ति के परिवार और मित्र महत्वपूर्ण सूचना आसानी से पा सकेंगे। फॉरेंसिक विशेषज्ञों का गंभीर अपराधों के लिए अपराध स्थल पर जाना और सबूत एकत्रित करना अनिवार्य बना दिया गया है। अपराध स्थल से सबूत एकत्रित करने की प्रक्रिया की अनिवार्य रूप से वीडियोग्राफी कराई जाएगी ताकि सबूतों में किसी प्रकार की छेड़छाड़ को रोका जा सके। इस कदम से जांच की गुणवत्ता व विश्वसीयता बढ़ेगी। नए कानूनों में महिलाओं व बच्चों के खिलाफ अपराधों की जांच को प्राथमिकता दी गई है जिससे दो महीने के भीतर जांच पूरी की जाएगी। अपराधियों और असामाजिक तत्वों को रोकने के लिए, बीएनएस ने कुछ श्रेणियों में अपराधों की सजा बढ़ा दी है। यौन उत्पीड़न, गंभीर हमला या नाबालिगों की तस्करी आदि जैसे जघन्य अपराधों के लिए आजीवन कारावास में पूर्ण प्राकृतिक जीवन की सजा निर्धारित की गई है। विचाराधीन कैदियों के लिए हिरासत की अधिकतम अवधि कुछ परिस्थितियों में पहली बार अपराध करने वालों के लिए हिरासत की अवधि कम कर दी गई है और जेल अधीक्षक को जमानत के लिए आवेदन करने में आरोपी या विचाराधीन कैदियों की सहायता करने के लिए कानूनी रूप से सशक्त बनाया गया है।
