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बेल्जियम में छायी जैसलमेरी पोशाक

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मधुहीर राजस्थान

भाटी दम्पति बेल्जियम की सुर्ख़ियों में
बेल्जियम के मुख्य समाचार पत्र ने तस्वीर को दिया स्थान

जैसलमेर(सी.आर.देवपाल म्याजलार)। राजस्थानी संस्कृति और वेश भूषा बेल्जियम में छा गयी। जैसलमेर के दम्पति को बेल्जियम की सडको पर राजस्थानी पोशाक को देख बेल्जियम के लोगों और मिडिया की उत्सुकता इतनी बढ़ गयी कि बेल्जियम के मुख्य समाचार पत्र ने इस दम्पति की तस्वीर को स्थान दे दिया। जैसलमेर के राजकीय महात्मा गाँधी विद्यालय आईजीएनपी में वरिष्ठ अध्यापक और अमेरिका रेडिओ पर अपनी बुक राजस्थानी टीचर वाले अर्जुन सिंह भाटी इन दिनों अपने परिवार के साथ बेल्जियम यात्रा पर हैं। बेल्जियम में भाटी के पुत्र गजवीर सिंह अध्ययन करते हैं। भाटी दम्पति अपने पुत्र से मिलने बेल्जियम गये हुए हैं। बेल्जियम यात्रा के दौरान भाटी की धर्मपत्नी श्रीमती अनीता के साथ पर्यटन स्थलों और बाज़ार की सैर कर रहे थे। दुनिया के विकसित देश की सड़कों पर राजस्थान संस्कृति और जैसलमेर पारम्परिक वेशभूषा में इन्हे देख बेल्जियम वासियों की उत्सुकता बढ़ गयी। बेल्जियम वासियों ने जैसलमेर की पारम्परिक वेशभूषा की जमकर सराहना की इतना ही नहीं बेल्जियम के मुख्य समाचार पत्र ब्रूसेल ने जैसलमेर की दम्पति की जैसलमेरी वेशभूषा में तस्वीर भी प्रकाशित की जो सोसल मिडिया पर भी काफी सराही जा रही है। बेल्जियम जैसे देश में जाकर अपनी परम्परागत पोषक पहन कर राजस्थान संस्कृति और परम्परा का बखाण किया उसे बेल्जियमवासी सराह रहे हैं।अर्जुन सिंह भाटी के शब्दों में बेल्जियम दुनिया का एक विकसित देश जिसको अगर एक शब्द में अभिव्यक्त करना हो तो वो शब्द है चॉकलेट। अपने आप में कितना मिठास से भरा है यह शब्द है चॉकलेट।भाग्यवश इस देश की राजधानी ब्रशल्स जाने का अवसर प्राप्त हुआ। हालांकि इस यात्रा का प्रयोजन भ्रमण कम पुत्र गजवीर से मिलना ज्यादा है। उच्च शिक्षा के लिए उसे दुनिया की प्रतिष्ठित एवं पुराने विष्वविद्यालयों में से एक के. यू. लुवन विश्ववविद्यालय में अध्ययन का गौरव प्राप्त हुआ। दुनिया के इस आधुनिक शहर में जहां फैशन अपने चरम पर है वहां जैसलमेर की पारंपरिक वेशभूषा को देखकर स्थानीय लोग सराहना करने से अपने आपको नहीं रोक सके। अर्जुन सिंह की बहुचर्चित पुस्तक डेजर्ट टीचर की कहानी रेडिओ अमेरिका में खुद अर्जुन सिंह ने सुनाई थी। अर्जुन सिंह रेडियो अमेरिका से अभी भी जुड़े हुए हैं। बहरहाल अपनी परम्परा और संस्कृति से प्यार और लगाव के कारण उन्हें बेल्जियम जैसे विकसित और आधुनिक देश में भी सराहना मिली बल्कि राजस्थानी संस्कृति का परचम भी लहराया।

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