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अगले साल तक पूरी हाेगी परियोजना:1200 करोड़ रुपए से नोखा-देशनोक व खाजूवाला तक पहुंचेगा नहरी पानी; 140 गांवों तक पहुंचेगा पानी

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मधुहीर राजस्थान

बीकानेर। आखिरकार नोखा और देशनोक के करीब 140 और कुछ बीकानेर तहसील के गांवों को नहर का पानी मिलने का रास्ता तैयार हो गया है। अगले साल तक इन गांवों को नहरी पानी मिलना शुरू हो जाएगा। इसके लिए करीब 680 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। 50 प्रतिशत के करीब काम हो भी गया है। इसके अलावा 600 करोड़ से खाजूवाला के भी 150 गांव तक पानी पहुंचाने की कवायद की जा रही है।

दरअसल, जब से नागौर को नहर का पानी मिलना शुरू हुआ तब से ही नोखा और देशनोक में नहरी पानी देने की मांग उठने लगी। वो इसलिए क्योंकि नागौर को मिलने वाला पानी नोखा और देशनोक से होकर ही गुजरता है। उस पानी पर नोखा और देशनोक का हक नहीं था। जब मांग उठी तो लगे हाथ श्रीडूंगरगढ़ से भी नहरी पानी की मांग उठने लगी क्योंकि जिले के करीब आधे गांव नहरी पानी से वंचित थे।

तब हर घर नल योजना भी लांच नहीं हुई थी इसलिए अलग तरह से यहां पानी पहुंचाने की कवायद शुरू हुई थी पर सिरे नहीं चढ़ी। जब जलजीवन मिशन योजना शुरू हुई तो उसी बजट में नहरी पानी पहुंचाने की योजना बनी। नोखा और देशनोक समेत बीकानेर तहसील के करीब 140 गांव, जहां 100 से ज्यादा आबादी है वहां नहर का पानी देने का प्रोजेक्ट मंजूर हुआ। पीएचईडी इसे पूरा करा रही है। करीब 50 प्रतिशत काम पूरा हो गया। इसके तहत देशनोक में पानी का केन्द्र बनाया गया जहां से इन गांवों को पानी सप्लाई किया जाएगा।

पाइप लाइन बिछाई जा रही है। प्रत्येक गांव को जोड़ने के लिंक तैयार हो रहे हैं। 2025 के अंत तक ये योजना बनकर तैयार हो जाएगी। इसी तरह खाजूवाला के भी करीब 150 गांवों में 600 करोड़ से नहरी पानी पहुंचाने का काम चल रहा है। यहां भी अगले साल तक ये काम पूरा हो जाएगा।

खाजूवाला शहर के लिए भी 25 करोड़ का प्लान
खाजूवाला के गांव तक पानी पहुंचाने के साथ ही शहर में भी पानी की व्यवस्था बनाने के लिए इसी बजट में सरकार ने 25 करोड़ की जलप्रदाय योजना मंजूर की है। हालांकि अभी बजट घोषणा हुई है लेकिन सीएम उसे एक साल के भीतर शुरू कराने के लिए कमर कस चुके हैं। दो साल के भीतर खाजूवाला शहर में भी जलप्रदाय योजना काम करना शुरू कर सकती है।

2015 से श्रीडूंगरगढ़ का प्रोजेक्ट अटका, फिर निरस्त हुआ टेंडर

श्रीडूंगरगढ़ में नहरी पानी पहुंचने में अभी झटके लग रहे हैं। 2015 से यहां पानी पहुंचाने के लिए टेंडर लग रहे पर प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो रहा। विधानसभा चुनाव से पहले फिर एक टेंडर रद्द हो गया। यहां के करीब 200 गांव तक नहरी पानी पहुंचाने के लिए 650 करोड़ का एक प्राेजेक्ट मंजूर हुआ है। इस बार इसलिए रद्द हुआ क्योंकि ठेकेदार ने दरें हाई कर दी थी।

बारगेनिंग होने के बाद भी पार नहीं पड़ी तो टेंडर निरस्त हो गया। अब नए सिरे से फिर टेंडर लगाने की कवायद होगी। हैरानी की बात ये है कि इस प्रोजेक्ट में श्रीडूंगरगढ़ शहर शामिल नहीं है। यानी शहर के लिए अलग से परियोजना मंजूर होगी जिसकी उम्मीद अगले बजट में पारित होने की है क्योंकि जब ग्रामीण इलाके का प्रोजेक्ट शुरू हो जाएगा तो उसके साथ ही शहर का भी मंजूर होगा। क्योंकि ग्रामीण का मामला टेंडर का उलझ रहा इसलिए इस बजट में श्रीडूंगरगढ़ को शामिल नहीं किया गया।

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