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चार इंच बारिश सह नहीं पाया किला

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मधुहीर राजस्थान

साढ़े आठ सौ साल पुराने किले की दीवार भरभरा कर गिरी संकट में किला

विश्व प्रसिद्ध पटवा हवेली के कंगूरे गिरे

जैसलमेर (सी आर देवपाल म्याजलार)। साढ़े आठ सौ साल से अधिक पुराने पीट पाषणो का साक्षी ऐतिहासिक किले के सरंक्षण को लेकर पुरातत्व विभाग की अनदेखी इस मानसून की चार इंच बारिश भारी पड़ गयी ,सोमवार को दिन रात चली बारिश का शिकार किले की दीवार हो गयी मंगलवार सुबह देखते देखते भरभरा के गिर गयी जबकि किले की दीवारे सबसे मजबूत मानी जाती हैं मरू तिकोन परिक्रमा लगातार पुरातत्व विभाग और जिला प्रशासन को चेता रहा था मगर इन पर कोई असर नहीं हुआ किले की दीवार ढहने के साथ किले के अस्तित्व पर खतरे के बाद छा गए किले में सीवरेज व्यवस्था नहीं होने के कारण किले की दीवारों में पानी का कई सालों से रिसाव होने से दीवारे कमजोर हो गयी आज इन कमजोर दीवारों पर बरसात के कहर ने कोढ़ में खाज का काम किया ,ऐसे ही चौदह साल पहले किले की दीवार गिरी थी तब छह लोगो की अकाल मौत हो गयी थी ,आज गिरी दीवार के नीचे परकोटा होने के कारण मलबा निचे तक नहीं आया वार्ना बड़ा हादसा हो सकता था ,सोमवार को किले के भीतर दो जरजर मकान गिर गए शुक्र हे कोई जनहानि नहीं हुई नगर परिषद आयुक्त लजपाल सिंह सोढा ने तत्काल कदम उठाते हुए इन जर्जर मकानों के आगे बेरिकेटिंग कर बंद कराया किले में कोई दो दर्जन से अधिक मकान जरजर अवस्था में हे जिनके मालिकों को नगर परिषद जरजर मकान गिराने के नोटिस दे चुके हैं 9 जनवरी 2024 को हमने खबर प्रकाशित की थी कि पुरातत्व विभाग ने फेरी नजरकिले की दीवारें दरकने लगी खबर प्रकाशन के बाद पुरातत्व विभाग चेता और उसने किले की शिव रोड स्थित दीवार का जीर्णोद्धार का कार्य आरम्भ करवा दिया।इस वक़्क्त किले की क्षतिग्रस्त 20 मीटर दीवार के जीर्णोद्धार का कार्य आरम्भ किया था मगर किले के 99 बुर्जों की दीवारे जगह जगह दरारों से भरी पड़ी हैं किले की दीवारे जर्जर होने की चिंता न पुरातत्व विभाग को हे न ही जिला प्रशासन को धीरे धीरे किले की दीवारें दरक रही हैं समय रहते पुरातत्व विभाग ने किले के सरंक्षण को लेकर ठोस योजना नहीं बनाई तो किला की बात हो जायेगा गौरतलब है कि 99 बुर्जो वाले किले की परकोटे की दीवारों के पत्थर निकल कर बाहर आ रहे थे जिससे हादसे की संभावना बनी थी।पुरातत्व विभाग और जिला प्रशासन निरन्तर किले की क्षतिग्रस्त दीवारों की अनदेखी कर रहे थे।चूंकि किले पर पानी निकासी की कोई व्यवस्था नही होने से पानी का रिसाव इन दीवारों में से होकर हो रहा था जिसके कारण दीवारों के पत्थर दरकने लगे थे।जिस क्षेत्र शिव रोड पर दीवार क्षतिग्रस्त थी वहां लोगो की रेलमपेल रहती है।पर्यटकों की भरमार रहती है।दीवार के गिरने की संभावना के साथ किसी अनहोनी घटना से इनकार नही किया जा सकता था।।किले के परकोटे की दीवारें पहले भी दो बार गिर चुकी थी ।इन हादसों में छह लोगों की मौत हो गई थी।पुरातत्व विभाग के अधिकारी इसको लेकर निरन्तर लापरवाही बरत रहे थे।भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने विश्व विरासत समिति के समक्ष सोनार किले के लिए एक साइट प्रबंधन योजना प्रस्तुत की थी जिसमे कई चिंताएं जताई गई थी।जिसमे मौजूदा प्रबंधन ढांचे को मजबूत करने की जरूरत,अनाधिकृत होटल रेस्टोरेंट का संचालन पानी का रिसाव के कारण किले की दीवार को क्षति ,पुरातत्व छवि को प्रभावित करने वाली ऊपरी विद्युत लाइनें और थोड़ अपशिष्ट के निस्तारण आदि मुख्य मुद्दे थे।किले के दीवारों में पानी रिसाव के कारण किले की दीवारों की संरचना में दरारें,कटान और किले में अनाधिकृत व्यवसाय,होटल रेस्टोरेंट के संचालन से किले की संरचना खतरे में पड़ गई।।लोगों ने चिंता जताई है कि देश के गौरव सोनार किले का वजूद खतरे में है।।किले के भीतर यातायात प्रबंधन ठीक से नही होने के कारण भी किले में व्यवस्थित नही है।याचिका कर्ता ने किले के भीतरव्यावसायिक गतिविधियों होटल रेस्टोरेंट गेस्ट हाउस तुरंत प्रभाव से रोकने की गुहार की ।

पटवा हवेली क्षतिग्रस्त

विश्व विख्यात पटवा हवेली भी बारिश में क्षतिग्रस्त हो गए।पांच मंजिला इस हवेली के कंगूरे टूट कर गिर गए।हवेली से पत्थर गिर कर सड़क पर गिर गए ।रात का समय होने से लोगो की आवाजाही नही थी।

बड़ा बाग़ में ऐतिहासिक छतरियों को भी नुकसान

बड़ा बाग स्थित महाराजाओं की पुरानी छतरियों को भारी बारिश के कारण नुक्सान हुआ सेकड़ो साल पुराणी छत्रिया जगह जगह खसतिग्रस्त हो गयी ऐतिहासिक धरोहरों का समुचित सरंक्षण नहीं होने से एक ही बरसात में ऐसी स्थतिया उतपन्न हो गयी बड़ा बाग़ में जैसलमेर के मोक्ष धाम हे जहाँ आकर्षक छतरियों का निर्माण समूहों के रूप में हो रखा ,जिसमे कई छतरियां जरजर हालात में हैं।

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