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जयपुर: SI पेपर लीक मामले में भजनलाल सरकार की सुप्रीम कोर्ट में बड़ी जीत, अभियुक्तों की जमानत याचिका खारिज

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मधुहीर राजस्थान

जयपुर । राजस्थान में SI भर्ती पेपर लीक मामले में भजनलाल सरकार को सुप्रीम कोर्ट से एक बड़ी जीत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अभियुक्तों की ओर से दायर विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया है और उनकी जमानत की अपील को ठुकरा दिया है. सुप्रीम कोर्ट में आज जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस पंकज मित्थल की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की जिसमें राजस्थान सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता (AAG) शिव मंगल शर्मा ने दलील दी जिन्हें अदालत ने सही ठहराया.

मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अभियुक्तों के वकीलों से कहा कि उनके मुवक्किलों ने गंभीर अपराध किया है, और “इन याचिकाकर्ताओं ने लाखों प्रतिभाशाली लोगों की भावनाओं के साथ खेला है.”

गिरफ्तारी को दी गई चुनौती को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज:

इस मामले में सुभाष बिश्नोई, राकेश, मनीष, दिनेश बिश्नोई, सुरेंद्र कुमार बगड़िया और माला राम को सब-इंस्पेक्टर/प्लाटून कमांडर भर्ती परीक्षा के दौरान बड़े पैमाने पर पेपर लीक में शामिल होने के मामले में गिरफ्तार किया गया है. उनके ऊपर पैसे देकर हल किए हुए प्रश्न पत्र प्राप्त करने का आरोप है. अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए इन अभियुक्तों ने अपनी याचिका में यह आरोप लगाया कि उन्हें 2 अप्रैल 2024 को एसओजी द्वारा अवैध रूप से गिरफ्तार किया गया था, लेकिन आधिकारिक रूप से 3 अप्रैल 2024 को गिरफ्तार दिखाया गया.

राजस्थान सरकार की दलील से अदालत सहमत:

हालांकि, राजस्थान सरकारी की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ताओं ने यह मुद्दा केवल कानूनी परिणामों से बचने के लिए उठाया है. उन्होने कहा कि ये अभियुक्त आरोपपत्र का सामना नहीं करना चाहते और उनके पुलिस रिमांड के आदेश 4 और 8 अप्रैल को अंतिम रूप ले चुके हैं. शिव मंगल शर्मा ने आगे तर्क दिया कि याचिकाकर्ताओं को उनकी गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर कानूनी रूप से आवश्यक रूप से जयपुर के मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (सीएमएम) के सामने पेश किया गया था, और सीएमएम ने उनकी पहले की गिरफ्तारी के अस्पष्ट दावों को ठीक से विचार कर खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने इन तर्कों से सहमति जताई और पाया कि याचिकाकर्ताओं ने पहले अपनी गिरफ्तारी की वैधता को चुनौती नहीं दी थी और उनकी मौजूदा दलीलें केवल जांच से बचने का प्रयास थीं. अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने ये कहते हुए याचिकाकर्ताओं की जमानत की याचिका को ठुकरा दिया कि उन्होंने नियमित जमानत के लिए आवेदन करने से परहेज किया.इस निर्णय के बाद अब याचिकाकर्ताओं को नियमित जमानत याचिका दायर करनी होगी और एसओजी द्वारा उनके खिलाफ एकत्र किए गए साक्ष्यों का सामना करना होगा.

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