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कांग्रेस क्यों नहीं रख पा रही है अपने लोगों पर कंट्रोल

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अशोक भाटिया

वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार ,लेखक,  एवं टिप्पणीकार

लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा हैट्रिक की तैयारी में जुटी है। वहीं विपक्षी पार्टियों की एक के बाद एक मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं।’इंडिया ‘गठबंधन को मजबूत करने में जुटी कांग्रेस अब खुद कमजोर ही नजर आ रही है। कांग्रेस के नेता लगातार पार्टी से छिटकते जा रहे हैं, कांग्रेस नॉर्थ से लेकर ईस्ट तक संकट में घिरी नजर आ रही है। यहां के कई राज्यों में पिछले दो दिनों में इस्तीफों का सिलसिला देखने को मिला है। पहले भारत जोड़ो यात्रा और अब भारत जोड़ो न्याय यात्रा के जरिए खोई साख हासिल करने में जुटी कांग्रेस अपने ही नेताओं को जोड़े रखने में विफल नजर आ रही है। फिर चाहे बात हिमाचल-बिहार की हो या फिर बंगाल-असम की। कांग्रेस के कद्दावर नेता पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम रहे हैं। नेताओं के पार्टी छोड़ने के सवाल पर राहुल गांधी कह चुके हैं कि जो भी जाना चाहता है, वह जा सकता है। उधर, जो नेता पार्टी छोड़ रहे हैं वह कांग्रेस पर अनदेखी और जैसे आरोप लगा रहे हैं।

इस्तीफों का सिलसिला इन चार राज्यों में ही सिमित नहीं है। इससे पहले महाराष्ट्र और झारखंड जैसे राज्यों में भी दलबदल का खेला देखने को मिला था। यहां कांग्रेस के कई कद्दावर नेताओं ने पार्टी छोड़कर भाजपा जॉइन कर ली। महाराष्ट्र में अशोक चव्हाण और बासवराज पाटिल जैसे बड़े नेताओं का पाला बदलना कांग्रेस के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है। वहीं झारखंड में भी पार्टी की एकलौती सांसद गीता कोड़ा ने भी भाजपा का दामन थाम लिया। इसके बाद भी इस्तीफों का सिलसिला जारी है।

अब हद तो तब हो गई जब देश के चुनाव में दो चरण बीत चुके हैं  और तब कांग्रेस के भीतर रण छोड़ने का अलग ही चरण चल रहा है। कांग्रेस में कोई प्रदेश अध्यक्ष पद छोड़ रहा है। कोई उम्मीदवारी छोड़ रहा है। और कोई गढ़ माने जाने वाली सीट पर उम्मीदवारी का पत्ता ही नहीं खोल रहा है। अब सोमवार को दस्तक देती खबर मध्य प्रदेश की बड़ी लोकसभा सीट इंदौर से आई, जहां बारात तैयारी थी, बाराती तैयार थे, लेकिन अचानक दूल्हा पलट गया। यानी इंदौर में कांग्रेस प्रत्याशी ने नामांकन वापसी के आखिरी दिन खुद ही अपना पर्चा वापस लेकर कांग्रेस को स्वच्छता में टॉप रहने वाले शहर इंदौर से चुनाव में साफ कर दिया।

400 पार का नारा देती भाजपा देश में एक सीट निर्विरोध जीत चुकी है, दो पर जीत पहले से तय मानी जा रही है। क्योंकि मध्य प्रदेश की खजुराहो सीट पर’इंडिया ‘गठबंधन की प्रत्याशी मीरा यादव का पर्चा दस्तखत ना होने से खारिज हो गया। यहां बाद में’इंडिया ‘गठबंधन ने अपना प्रत्याशी न रहने पर ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के कैंडिडेट को समर्थन दे दिया है। फिर गुजरात के सूरत में कांग्रेस के अधिकृत और डमी, दोनों प्रत्याशी का पर्चा खारिज हो गया था। बाकी बसपा समेत निर्दलीय प्रत्याशियों ने पर्चा वापस से लिया। भाजपा के प्रत्याशी निर्विरोध जीत गए। अब मध्य प्रदेश के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के गृह जिले इंदौर की सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी अक्षय बम ने अपना पर्चा वापस ले लिया। है।

इतना ही नहीं, जब इंदौर में कांग्रेस प्रत्याशी नामांकन वापस लेने पहुंचे तो उनके साथ कलेक्टर ऑफिस में भाजपा विधायक रमेश मेंदोला देखे गए। और फिर भाजपा में शामिल होने के लिए मध्य प्रदेश के बड़े नेता कैलाश विजयवर्गीय के साथ अक्षय कांति बम निकल पड़े। अब सवाल उठता है कि आखिर क्यों कांग्रेस प्रत्याशी ने ऐसा किया? कहीं सरकार पलटे या विधायक। तुरंत ऑपरेशन लोटस के आरोप लगते हैं। इंदौर में कांग्रेस प्रत्याशी के पर्चा लेकर पलटने पर भी आरोप लगाया जा रहा है कि कांग्रेस प्रत्याशी की कोई कमजोर नस दबाई गई है।

इंदौर में कांग्रेस की शहर कमेटी के अध्यक्ष देवेंद्र यादव को कलेक्टर दफ्तर के बाहर फोन पर कांग्रेस के किसी नेता को कॉल करके गुस्सा निकालते देखा गया। इस दौरान वह फोन पर कह रहे थे, “मैं शुरु से कह रहा था कि नाम वापस लेगा, पैसा देखकर टिकट दिया क्या योगदाना था? क्या संघर्ष किया? पार्टी हाईकमान को देखना चाहिए हमारे जैसे कार्यकर्ता को मार रही है। अकेले खड़े हैं, वो निकल गया। पार्टी क्यों देती है पैसा देखकर, काम को आधार नहीं बनाते हो?

यानी कांग्रेस के ही स्थानीय नेता अपने ही प्रत्याशी पर पहले से सवाल उठाते आए। उन्हें डर था कि ये पार्टी पाला पर्चा सब बदलेंगे। हुआ वही जो कांग्रेस के नेताओ को डर था। अब सवाल है कि खजुराहो, सूरत और इंदौर में जो हुआ, क्या आगे मध्य प्रदेश में और भी किसी सीट पर हो सकता है? जवाब में मुख्यमंत्री मोहन यादव कहते हैं कि हमारा दर खुला है, खुला ही रहेगा, तुम्हारे लिए। उन्होंने कहा, “करीब ढाई लाख लोग ज्वाइन कर रह हैं, हमको सेलेक्शन करना पड़ता है किस को आने दें। 179 पूर्व विधायक पार्टी ज्वाइन कर चुके हैं, पार्टी का बढ़ता ग्राफ है। छतरी में अधिकांश लोग समाहित हो रहे हैं। कांग्रेस सोचे उनके लोग पार्टी क्यों छोड़ रहे हैं।

बता दें कि हर चरण के चुनाव से पहले भाजपा के खाते में एक अच्छी खबर आ रही है। फर्स्ट फेज से पहले खजुराहो में सपा प्रत्याशी का पर्चा खारिज हुआ। दूसरे फेज से पहले सूरत में कांग्रेस प्रत्याशी का पर्चा खारिज हुआ। तीसरे फेज से पहले अब इंदौर में कांग्रेस प्रत्याशी ने अपना पर्चा वापिस ले लिया। और अब उस सीट की दस्तक के बारे में बात करते हैं, जहां 2014 में हारी भाजपा प्रत्याशी ने फिर हार नहीं मानी। उसी सीट को अपना घर बनाया। 2019 में जीत हासिल की। ये सीट है उत्तर प्रदेश की अमेठी की। जहां आज स्मृति इरानी ने ने नामांकन किया। हलफनामे में दिल्ली नहीं अमेठी में बनवाए गए घर को ही अपना पता दिखाया। इसी अमेठी को राहुल गांधी भी अपना घर आंगन कहते थे। लेकिन अमेठी से राहुल के ल़ड़ने को लेकर असमंजस अब तक बना हुआ है।

भारतीय जनता पार्टी  शासित राज्य में ‘ इंडिया ’ के सीट बंटवारे के तहत कांग्रेस ने खजुराहो सीट सपा के लिए छोड़ दी थी। भाजपा ने इस सीट पर अपने प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा को इस सीट से मैदान में उतारा है। रिटर्निंग अधिकारी ने सपा प्रत्याशी मीरा यादव के नामांकन पत्र में दो कमियां निकाल दीं। पहला, फॉर्म के साथ लगी मतदाता सूची प्रमाणित नहीं है या पुरानी है। दूसरी- दो जगह हस्ताक्षर कराना था, लेकिन केवल एक ही स्थान पर साइन किया गया है। यहां सपा का पर्चा खारिज होने के बाद’इंडिया ‘गठबंधन ने ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के कैंडिडेट को समर्थन दे दिया है।

सूरत लोकसभा सीट से भाजपा के मुकेश दलाल को निर्विरोध विजेता घोषित किया गया था। इस सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार निलेश कुम्भानी का नामांकन रिटर्निंग ऑफिसर ने रद्द कर दिया था। उनके प्रस्तावकों के हस्ताक्षर में गड़बड़ियों का हवाला देकर नामांकन रद्द किया गया था। कांग्रेस के उम्मीदवारों का नामांकन रद्द होने के बाद बाकी बचे 8 उम्मीदवारों ने भी अपनी उम्मीदवारी वापिस ले ली। ऐसे में भाजपा उम्मीदवार मुकेश दलाल निर्विरोध चुन लिए गए। चुनाव आयोग ने उन्हें जीत का सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया है। यह पहली बार है जब लोकसभा चुनाव में भाजपा का कोई सांसद निर्विरोध चुना गया हो।

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