दीपावली 20 अक्टूबर को, अन्नकूट महोत्सव 22 को
मधुहीर राजस्थान
जोधपुर। खुशियों व रोशनी का पर्व दीपोत्सव शनिवार को धनतेरस से शुरू हो जाएगा। पिछले साल की तरह इस बार भी दीपावली का त्योहार तिथियों के भुक्त-भोग्य यानि घटने-बढऩे के कारण पांच की जगह छह दिन तक मनाया जाएगा। दीपावली महापर्व 18 अक्टूबर को धनतेरस से शुरू होगा। इसके बाद छोटी दीपावली या रूप चौदस 19 अक्टूबर और दीपावली 20 अक्टूबर, अन्नकूट व गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर और भाईदूज 23 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
ज्योतिषियों का कहना है कि कार्तिक अमावस्या की रात में लक्ष्मी पूजा करने की परंपरा है। इसलिए 20 अक्टूबर की रात लक्ष्मी पूजा करनी चाहिए, क्योंकि बीस की रात में ही अमावस्या तिथि रहेगी और 21 अक्टूबर की रात में कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि रहेगी। दीपोत्सव के प्रथम दिन 18 अक्टूबर को धनतेरस मनाई जाएगी। धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि जयंती भी मनाते हैं। धनतेरस की रात में यमराज के लिए दीपक जलाने की परंपरा है। इस तिथि पर देवी लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है। इसके अगले दिन अक्टूबर को रूप चौदस मनाई जाएगी, इसे नरक चतुर्दशी भी कहते हैं। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नाम के दैत्य का वध किया था। इस दिन दरवाजे के बाहर सूर्यास्त के बाद चार बत्तियों वाला दीपक जलाया जाता है। मान्यता है कि इससे नरक नहीं जाना पड़ता। रूप चौदस पर उबटन लगाकर स्नान करने की परंपरा है।
इस साल दीपावली 20 अक्टूबर को है। बीस अक्टूबर को दोपहर 2.27 बजे अमावस्या शुरू हो जाएगी। इसके बाद प्रदोषकाल व मध्यरात्रि में अमावस्या होने से इस दिन दीपावली और लक्ष्मी पूजन किया जाएगा। अगले दिन 21 अक्टूबर को अमावस्या तिथि दोपहर 3.56 बजे तक रहेगी। इस दिन पितरों का श्राद्ध एवं दान पुण्य करना चाहिए। सूर्यास्त के बाद प्रदोषकाल में अमावस्या नहीं होने से इस दिन दीपावली लक्ष्मीपूजा का मुहूर्त नहीं मिलेगा।मान्यता है कि देवताओं और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था और इस मंथन से कार्तिक मास की अमावस्या पर देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थी। देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु का वरण किया था। इसके साथ एक अन्य मान्यता ये है कि इस तिथि पर भगवान राम 14 वर्ष का वनवास खत्म करके और रावण वध करके अयोध्या लौटे थे। तब लोगों ने राम के स्वागत के लिए दीपक जलाए थे।
22 अक्टूबर को कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन अन्नकूट और गोवर्धन पूजा होगी। इस दिन भगवान कृष्ण को अन्नकूट का भोग लगाया जाएगा। इसके अगले दिन 23 अक्टूबर को भाईदूज मनाई जाएगी। इस दिन बहन, भाई का तिलक करती हैं। भाई, बहन के घर भोजन करते हैं। इस दिन यमतर्पण, चित्रगुप्त सहित यमपूजन, यमुना स्नान भी किया जाता है। शाम 7.50 बजे तक पूरे दिन भाई दूज मनाई जाएगी।

