मधुहीर राजस्थान
जैसलमेर (चुतराराम देवपाल)। इस बार पड़ रही भीषण गर्मी से अभी तक किसी तरह की राहत न आमजन को मिल रही है न ही पशु पक्षियों को। तापमान कम होने के बावजूद गर्मी के तेवर तीखे है। उमस और गर्मी की मार अब असहनीय हो रही है खासकर राज्य पशु चिंकारा।भीषण गर्मी के दौर में शक्ति क्षीण कर चुके वन्य जीवों के लिए ग्रामीण इलाकों में पेयजल की व्यवस्था करने के बावजूद पिछले तीन दिन में पांच मादा हिरने मौत का शिकार हो गई।हिरणों का इस तरह अकाल मौत ने वन विभाग वन्य जीव को चिंता में डाल दिया वही वन्य जीव प्रेमी भी असहज हो रहे है।जैसलमेर जिले में हाल में हुई वन्य जीवों की गणना में भी चिंकारा सर्वाधिक जिले में अनुमानित बीस
हजार से अधिक चिंकारा हे इनकी सुरक्षा के लिए कोई माकूल प्रबंध नहीं हुए जो अफसोसजनक हैं चिंता हे की ऐसे चिंकारा की मौतें होती रही तो लुप्त हो जायेंगे जैसलमेर के लखासर रासला साँवता लाठी धोलिया आदि वन्य जीव बाहुल्य क्षेत्र में चिंकारा हिरने तड़फ तड़फ कर दम तोड़ रही है। वन्य जीव प्रेमी सुमेर सिंह साँवता ने बताया कि वन्य जीव बाहुल्य क्षेत्र में चिंकारा की अकाल मौत से वन्य जीव प्रेमी स्तब्ध है। चिंकारों की मौत का कारण पता नही चल रहा है। उमस और गर्मी से गर्भवती मादा हिरने ज्यादा असहज है। पिछले तीन दिनों में पांच मादा हिरणों की मौत हो गई।वन विभाग को सूचित किया था।वनकर्मी मौके पर पहुंचे थे। मादा हिरन को विधि विधान से दफनाया गया। इधर सबसे बड़ा सवाल है कि मादा हिरणों की जंगलात में अकाल मौतों के बाद वन विभाग के कार्मिक बिना स्टमार्टम किये दफना रहे है।जिसके कारण हिरणों के मौत का वास्तविक कारण सामने नही आ रहा। क्षेत्र में चारे पानी के प्रबंध है।भगर जंगलात के अंदरूनी भागों में पानी नही पहुंच रहा जिसके कारण हिरने ग्रामीण क्षेत्रो की और पलायन कर रही है और दम तोड़ रही है।वन क्षेत्र में वन्य जीवों के लिए पानी की व्यवस्था कर दी गई है । निरन्तर टैंकरों से पेयजल आपूर्ति हो रही है।इसके बावजूद हिरणों की मौत का कारण प्रथम दृष्टि से असहनीय गर्मी है। फिर भी स्टमार्टम के बाद ही असली कारण सामने आएंगे।

