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लू के थपेड़े के साथ सियासी पारे की गर्माहट

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प्रदेश में लू के थप्पड़ो के साथ सियासी गर्मी भी साफ-साफ दिखाई दे रही है। यहां पर मतदान के दिन तापमान 39 से लेकर 42 तक तापमापी रहा। वही मतदाता भी अपने मतदान करने के लिए मतदान केंद्र पर डटे रहे। उन्होंने भीषण गर्मी के बावजूद भी मतदान करने पहुंचे। एक और बाड़मेर-जैसलमैर जिसमें निर्दल उम्मीदवार रविंद्र सिंह भाटी के कारण हॉट सीट बन चुकी है। वहां पर सियासी पारा कुछ ज्यादा ही दिख रहा है। वहीं में रविंद्र सिंह भाटी लोगों के दिलों में बसे हुए हैं। उन्होंने न केवल चुनावी संपर्क किया बल्कि आमजन को विश्वास में लेकर जनहित कार्य करने के लिए वादे किए है। वहीं दूसरी ओर जालौर सिरोही शीट पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत के चुनाव लड़ने से वह भी रोचक मुकाबला हुआ है। हालांकि प्रथम चरण के मुकाबले दूसरे चरण में बंपर वोटिंग हुई है। भाजपा और कांग्रेस पार्टी पहले चरण से सबक लेकर लोगों से जुड़े तथा विश्वास में लिया जनहित कार्य के लिए हमेशा तैयार रहेंगे। वहीं दूसरी ओर जोधपुर सीट भी और हॉट सीट बनी हुई है । वहां केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भाजपा की प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं वहीं कांग्रेस की प्रत्याशी करण सिंह उचियारड़ा चुनाव लड़ रहे हैं इस सीट पर महत्वपूर्ण बात यह है दोनों प्रत्याशी राजपूत है और दोनों का ही सीट पर दबदबा है दोनों प्रत्याशी राजपूत होने के कारण वोटो का बंटवारा होना स्वाभाविक है लेकिन अब यहां अन्य जातियों के वोट पर निर्भर करेगा किस प्रत्याशी को कितने वोट मिलेंगे। 26 अप्रैल को हुए चुनाव में साफ-साफ इस सीट पर दिख रहा था हालांकि इस क्षेत्र अब देखना है जनता किसके सिर पर शेहरा बांधती है। राजस्थान में लू के थपेड़े पड़ते हैं तो रेतीले धोरे झरने की तरह बहने लगते हैं। अभी न तेज गर्मी शुरू हुई है और न लू बह रही है, लेकिन दस साल में पहली बार ऐसा है कि लोकसभा चुनाव में गर्मी सिर चढ़कर बोल रही है। 25 में से 7 सीटों पर गर्म हवा बह रही है। पांच सीटों पर तो मुकाबला कांटे की टक्कर का हो गया है। शेखावाटी की सीकर, चूरू और झुंझुनूं सीट पर मुकाबला आमने-सामने का है। बाड़मेर-जैसलमेर में निर्दलीय रविन्द्र सिंह भाटी ने इस सीट और इलाके दोनों को हॉट बना दिया है। जोधपुर और दौसा में एक ही जाति के प्रत्याशी होने के बावजूद मुकाबला काफी पेचीदा हो गया है। मतदाता खुलकर नहीं बोल रहे। वहीं, राजस्थान की 18 से 20 सीटों पर मतदाता को न प्रत्याशी से मतलब है, न किसी और से। यहां सिर्फ मोदी, राम मंदिर और भाजपा की ही बात होती है।

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