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कुमारी शैलजा  का  कांग्रेस से रूठना उर्फ़ भाजपा के लिए ‘ बिल्ली के भागों छींका  टूटना ‘

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हरियाणा में क्या भाजपा  एक बार फिर जीत हासिल कर पाएगी या कांग्रेस पार्टी 10 साल के बाद सत्ता पर फिर से काबिज होगी? विधानसभा चुनावों का ऐलान किए जाने के बाद हरियाणा को लेकर ‘लोक पोल’  ने  प्री-पोल सर्वे किया । इस सर्वे से पता चला है कि 90 विधानसभा सीटों वाले प्रदेश में भाजपा  के साथ बड़ा खेला हो सकता है। इस प्री-पोल में किसे कितनी सीटें मिलने वाली है इसका अनुमान प्रस्तुत किया गया । लोक पोल सर्वे के मुताबिक, हरियाणा में इस बार कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बन कर वापसी करेगी। कांग्रेस को इस चुनाव में 58-65 सीटें मिलने का अनुमान  बताया गया । इस चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर 46-48% अंक गया । वहीं भाजपा  की बात करें तो सर्वे के अनुसार उसे 20-29 सीटें हासिल हो सकती हैं और उसका वोट शेयर 35-37% वोट शेयर रह सकता है। इस सर्वे के अनुसार तीन से पांच सीटें अन्य के खाते में भी जा सकती है।

इस बीच हरियाणा कांग्रेस की दिग्गज और सोनिया गांधी की खासमखास कुमारी सैलजा के कांग्रेस छोड़ने की चर्चा तेज हो गई । हरियाणा विधानसभा चुनाव के बीच सैलजा का चुनाव प्रचार से अचानक गायब हो जाना कई सवालों को जन्म दे रहा है। सैलजा के अचानक दिल्ली में डेरा डालने के मतलब भी निकाले जा रहे हैं। कांग्रेस सूत्रों की मानें तो 10 जनपथ और सैलजा के बीच अभी तक कोई संवाद कायम नहीं हो सका है।यह घटना एक प्रकार से भाजपा के लिए संजीवनी लेकर आ गई शायद इसी को कहते है ‘ बिल्ली के भागों छींका टूटना ‘

सैलजा के रूठने की खबर के साथ भाजपा  की तरफ से सैलजा के पास ऑफर पर ऑफर आना शुरू हो गए पर सैलजा उस पर भी चुप्पी साध रखी है। शायद  ये सारी कवायद किसी बड़े राजनीतिक घटनाक्रम के होने का संकेत दे रहा है? बता दें कि केंद्रीय मंत्री और राज्य के पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर ने शुक्रवार को एक जनसभा के दौरान कुमारी शैलजा से भाजपा  में शामिल होने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हरियाणा कांग्रेस में बहुत ज्यादा अंतर्कलह है और मुख्यमंत्री पद के लिए उनके चेहरे को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है। पिता और पुत्र (भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा) के बीच लड़ाई है। पिता कहते हैं कि वह मुख्यमंत्री बनेंगे, जबकि बेटा कहता है कि वह मुख्यमंत्री बनेगा। उनके अलावा अन्य नेताओं की भी मुख्यमंत्री पद पाने की इच्छा है। हमारी दलित बहन घर पर बैठी है। आज बहुत से लोग सोच रहे हैं कि उन्हें क्या करना चाहिए। हम पेशकश के साथ तैयार हैं और अगर वह आती हैं तो हम उन्हें पार्टी में शामिल करने के लिए तैयार हैं।

 भाजपा  के एक बड़े नेता की मानें तो पार्टी तीसरी बार सत्ता में आने के लिए वह सारे प्रयास कर रही है , जिससे मंजिल तक पहुंचने में आसानी होगी। इसलिए भाजपा  ने अभी से ही प्लान-ए, प्लान-बी और प्लान सी पर काम करना शुरू कर दिया है।

हरियाणा भाजपा  के कद्दावर नेता और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर के अलावा मौजूदा मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी लगातार बोल रहे हैं कि दलित होने की वजह से कांग्रेस ने कुमारी शैलजा का अपमान किया है। तकरीबन भाजपा  के सारे नेता शैलजा को लेकर यही बोल रहे हैं। ऐसे में अगर सैलजा चुनाव प्रचार नहीं करती हैं तो इससे भाजपा  को फायदा ही  हो सकता है।क्योंकि, हाल ही में भाजपा  की हरियाणा सरकार ने एससी में वंचित 52 प्रतिशत की आबादी में से 36 जातियों को 20 प्रतिशत आरक्षण में कोटे के अंदर कोटा 50 प्रतिशत आरक्षण दे दिया है। हरियाणा में एससी की कुल आबादी में से इन 36 वंचित जातियों की आबादी 52।40 प्रतिशत है। सैलजा भी इसी वंचित जाति से आती हैं। अगर सैलजा चुनाव प्रचार नहीं करती हैं तो भाजपा  को इससे डबल फायदा हो सकता है।’

यदि भाजपा का दलित वोटर को लुभाने के लिए यह  प्लान फ़ैल हो जाता है तो  भाजपा  का दूसरा  प्लान भी तैयार है। हरियाणा में जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां जाटों का वोट 22 से 27 प्रतिशत के बीच है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी इसी जाति से आते हैं। भाजपा  चाह रही है कि अगर सैलजा भाजपा  में शामिल हो जाएंगी तो पंचकूला, अंबाला, यमुनानगर , हिसार और सिरसा की 20 से ज्यादा दलित बहुल सीटों पर फायदा होगा। क्योंकि हरियाणा में दलित वर्सेज जाट की लड़ाई पुरानी है।इन सीटों पर दलित गोलबंद होंगे और एकतरफा वोट कर सकते हैं। ये सारी सीटें कांग्रेस की पारंपरिक सीटें रही हैं। क्योंकि, सिरसा से सैलजा इस बार लोकसभा की सांसदी जीती हैं और उनकी नारजगी प्लस भाजपा  का कोटे के अंदर कोटा में आरक्षण देने से कई सीटें पर लाभ हो सकता है। दलित बहुल इन 15-20 सीटों पर भाजपा  की स्थिति अच्छी नहीं कही जा रही है। सैलजा अगर पार्टी में शामिल होती हैं तो इन सीटों पर भाजपा  अच्छा कर सकती है।

भाजपा  का अगला प्लान  चुनाव नतीजे आने के बाद आ सकता है। अगर उम्मीद के मुताबिक भाजपा  प्रदर्शन नहीं करती है या फिर किसी भी दल को बहुमत नहीं मिलता है तो यह फॉर्मूला भाजपा  अपना सकती है। इस फॉर्मूले के तहत भाजपा  की पहली कोशिश होगी कि बहुमत की संख्या किसी तरह पूरी की जाए। इसमें निर्दलीय और छोटे दलों के जीते हुए उम्मीदवारों से पहले संपर्क किया जाएगा। इसके लिए जेजेपी जैसी पार्टियों से भी संपर्क किया जा सकता है। अगर इस पर बात नहीं बनती है तो फिर भाजपा  ब्रह्मास्त्र का प्रयोग भी कर सकती है।भाजपा  के इस प्लान के  तहत ब्रह्मास्त्र मतलब मुख्यमंत्री  फेस बदलना। इसके लिए भाजपा  आलाकमान की भूमिका अहम होगी। खासकर प्रधानमंत्री  मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा  अध्यक्ष जेपी नड्डा मुख्यमंत्री  फेस बदल सकते हैं। इसमें चौंकाने वाला नाम भी सामने आ सकता है। सैलजा को भाजपा मुख्यमंत्री  पद की भी  पेशकश कर सकती है।बशर्ते वह कांग्रेस से जीते अपने समर्थकों को पार्टी में लाएं या दो तिहाई बहुमत नहीं होता है तो इस्तीफा दिलवाएं। भाजपा  के तीनों प्लान के केंद्र में सैलजा ही रहेंगी। क्योंकि, कहा जा रहा है कि 15-20 विधानसभा सीटों पर सैलजा के करीबियों को टिकट दिया गया है। ऐसे में भाजपा  सैलजा को सीएम चेहरा बनाकर पंचकूला, अंबाला, यमुनानगर , हिसार और सिरसा के आस-पास इलाकों से जीतने वाले कांग्रेस विधायकों को अपने पाले में करने का दांव खेल सकती है।

इस बीच, बसपा सुप्रीमो मायावती ने कुमारी शैलजा को नसीहत देते हुए कांग्रेस पर जोरदार हमला बोल रही है। मायावती ने ‘एक्स’ पर लिखा, “देश में अभी तक के हुए राजनीतिक घटनाक्रमों से यह साबित होता है कि खासकर कांग्रेस व अन्य जातिवादी पार्टियों को अपने बुरे दिनों में तो कुछ समय के लिए इनको दलितों को मुख्यमंत्री व संगठन आदि के प्रमुख स्थानों पर रखने की जरूर याद आती है। लेकिन ये पार्टियां, अपने अच्छे दिनों में, फिर उनको अधिकांशतः दरकिनार ही कर देती हैं और इनके स्थान पर फिर उन पदों पर जातिवादी लोगों को ही रखा जाता है, जैसा कि अभी हरियाणा प्रदेश में भी देखने के लिए मिल रहा है। जबकि ऐसे अपमानित हो रहे दलित नेताओं को अपने मसीहा बाबा साहेब डॉ। भीमराव आंबेडकर से प्रेरणा लेकर इन्हें खुद ही ऐसी पार्टियों से अलग हो जाना चाहिए और अपने समाज को फिर ऐसी पार्टियों से दूर रखने के लिए उन्हें आगे भी आना चाहिए।”

वे  आगे लिख रही है कि  क्योंकि परमपूज्य बाबा साहेब डॉ। भीमराव अम्बेडकर ने देश के कमजोर वर्गों के आत्मसम्मान व स्वाभिमान की वजह से अपने केंद्रीय कानून मंत्री पद से इस्तीफा भी दे दिया था। जिससे प्रेरित होकर फिर मैंने भी जिला सहारनपुर के दलित उत्पीड़न के मामले में इसकी हुई उपेक्षा और ना बोलने देने की स्थिति में, फिर मैंने इनके सम्मान व स्वाभिमान में अपने राज्यसभा सांसद से इस्तीफा भी दे दिया था। ऐसे में दलितों को बाबा साहेब के पदचिन्हों पर चलने की ही सलाह। इसके अलावा, कांग्रेस व अन्य जातिवादी पार्टियां शुरू से ही इनके आरक्षण के भी विरूद्ध रही हैं। श्री राहुल गांधी ने तो विदेश में जाकर इसको खत्म करने का ही ऐलान कर दिया है। ऐसी संविधान, आरक्षण व SC, ST, OBC  विरोधी पार्टियों से ये लोग जरूर सचेत रहें।”

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