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डॉ. धीरेन शाह ने मरीजों को जल्दी ठीक करने वाली और कम दर्द के अनुभव वाली बाईपास सर्जरी के सात अलग-अलग तरीकों में महारत हासिल की

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मधुहीर राजस्थान
जोधपुर (बहादुर सिंह चौहान)। डॉ. धीरेन शाह, सीनियर कार्डियोथोरेसिक एवं वैस्कुलर सर्जन दिल से संबंधित हर तरह की बीमारी के उपचार के क्षेत्र में एक जाना-माना नाम हैं, और वे बड़े गर्व के साथ कोरोनरी आर्टरी बाईपास सर्जरी की सात उन्नत तकनीकों को बढ़ावा दे रहे हैं। इनमें से हर तकनीक को मरीजों की खास शारीरिक और चिकित्सकीय ज़रूरतों को ध्यान में रखकर बड़ी सावधानी से तैयार किया गया है। सर्जरी के ये नए तरीके निजी ज़रूरतों के अनुरूप उपचार, सर्जरी में सटीकता और मरीजों की सुरक्षा के अटल इरादे को दर्शाते हैं। कार्डियक साइंसेज के तहत ये सभी सर्जिकल प्रक्रियाएँ मैरिंगो सीआईएमएस हॉस्पिटल में विशेषज्ञों की एक टीम द्वारा की जाती है, जिनकी कमान डॉ. धीरेन शाह के हाथों में हैं। यहाँ की जाने वाली सर्जिकल प्रक्रियाओं में बीटिंग हार्ट सर्जरी, बाइलेटरल इंटरनल मैमेरी आर्टरीज़ (BIMA), मिनिमली इनवेसिव कार्डियक सर्जरी (MICS), रोबोटिक कोरोनरी आर्टरी बाईपास सर्जरी, हाइब्रिड कोरोनरी बाईपास सर्जरी, और हार्ट फेल्योर में बाईपास सर्जरी शामिल हैं।
डॉ. धीरेन शाह अस्पताल में भर्ती मरीजों की देखभाल में बाईपास सर्जरी के अलग-अलग तरीकों के उपयोग को बेहद महत्वपूर्ण बताते हुए कहते हैं कि, “हम मरीज की चिकित्सीय स्थिति और कुल मिलाकर उसकी सेहत को ध्यान में रखकर सबसे उपयुक्त तरीका चुनते हैं, ताकि हमें बेहतर नतीजे प्राप्त हों और मरीज जल्दी ठीक हों। मैं और मेरी टीम लगातार मरीजों पर केंद्रित कार्डियक इनोवेशन में सबसे आगे रहने की कोशिश करते हैं, अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी को हमदर्दी के साथ देखभाल से जोड़ते हैं, और विश्व-स्तरीय कार्डियक सर्जरी के मानकों को भारत में लाने के लिए पूरी तरह समर्पित हैं।”
सर्जन विभिन्न तरीकों के बारे में विस्तार से बताते हैं। ऑन-पंप ओपन-हार्ट सर्जरी दरअसल बाईपास की एक पारंपरिक तकनीक है, जिसमें कुछ समय के लिए हार्ट के काम-काज को रोक दिया जाता है, और एक हार्ट-लंग मशीन खून को शरीर में लाने व ले जाने का काम संभाल लेती है। इससे सर्जन को तसल्ली के साथ और बिना खून वाले हार्ट का ऑपरेशन करने में आसानी होती है।
ऑफ-पंप बाईपास सर्जरी, या बीटिंग हार्ट सर्जरी में दिल की धड़कन रोके बिना सर्जरी की जाती है और इसमें हार्ट-लंग मशीन का उपयोग नहीं किया जाता है। सर्जन केवल उसी हिस्से को स्थिर करते हैं जिस पर ऑपरेशन करना होता है, जिससे जोखिम और क्षति कम हो जाती है। यह तरीका ज़्यादा जोखिम वाले मरीजों (बुज़ुर्ग, डायबिटीज से जूझ रहे, या किडनी की समस्या वाले सभी मरीजों) के लिए सबसे बेहतर है और इसके फायदों में बहुत कम खून बहना, कम जटिलता दर, और ठीक होने में कम समय लगना शामिल है।
बाइलेटरल इंटरनल मैमेरी आर्टरीज़ (BIMA) वास्तव में टोटल आर्टेरियल बाईपास सर्जरी की एक उन्नत तकनीक है, जिसमें पैर की नसों के बजाय बाएँ और दाएँ, दोनों इंटरनल मैमेरी आर्टरीज़का उपयोग किया जाता है। इस विधि में लंबे समय तक कायम रहने वाले बेहतर परिणाम मिलते हैं, जिससे आर्टरीज़ लंबे समय तक खुली रहती हैं, ग्राफ्ट फेल्योर का जोखिम कम होता है, और मरीजों के जीवित रहने की दर भी बेहतर होती है। कम उम्र के मरीजों और स्थायी परिणामों की चाह रखने वाले लोगों के लिए यह तरीका सबसे उपयुक्त है।
मिनिमली इनवेसिव कार्डियक सर्जरी (MICS) में दिल का ऑपरेशन पसलियों के बीच किए गए छोटे चीरों (2-3 इंच) के माध्यम से होता है, जिससे छाती की हड्डी की चीर-फाड़ करने की ज़रूरत नहीं पड़ती है। MICS में विशेष उपकरणों का उपयोग करके या रोबोट की मदद लेकर सटीकता सुनिश्चित की जाती है और आघात को कम करती है।

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