मधुहीर राजस्थान
जोधपुर। राजस्थान उच्च न्यायालय की खंडपीठ के वरिष्ठ न्यायाधीश डॉ. पीएस भाटी और न्यायाधीश मुन्नुरी लक्ष्मण ने राज्य में उपभोक्ता आयोगों में कई जगह अध्यक्ष और सदस्यों के पद रिक्त होने से न्यायिक कारवाई बाधित होने पर चिंता व्यक्त करते हुए राज्य सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता को न्यायालय को यह अवगत कराने को कहा है कि पिछले एक से दो साल से कितने पद रिक्त है और इन पदों को भरने के बाद राज्य सरकार का क्या प्रस्तावित कार्यक्रम और योजना है। आगामी पेशी मंगलवार को तय की गई है।
राजस्थान हाइकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन की ओर से राज्य के जिला और राज्य उपभोक्ता आयोग में अध्यक्ष और सदस्यों के रिक्त पद भरने,स्टाफ की पर्याप्त भर्ती,संसाधन आदि की मांग पर दायर जनहित याचिका पर बहस करते हुए अधिवक्ता अनिल भंडारी ने कहा कि राज्य के कई जिला आयोग में अध्यक्ष और सदस्यों के रिक्त पद पिछले एक से दो साल से खाली है और राज्य आयोग के सदस्यों के पूर्ण पद भरे हुए नहीं होने से उपभोक्ता अधिनियम के त्वरित न्याय की उम्मीद पूर्ण नहीं हो पा रही है और खाद्य व नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामलात के प्रमुख सचिव इन पदों को भरने में पर्याप्त रुचि नहीं ले रहे है।
उन्होंने कहा कि पिछले साल जोधपुर में राज्य आयोग की स्थाई पीठ गठित कर दी गई,लेकिन न्यायालय के निर्देशों के बावजूद जिला प्रशासन अभी तक पर्याप्त और सुविधाजनक जगह उपलब्ध नहीं करवा रहा है। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेश पंवार ने बताया कि राज्य आयोग में एक सदस्य का पद तथा जिला आयोग में 7 पद अध्यक्ष के और जोधपुर में सदस्यों के तीन पद सहित 25 पद रिक्त है और आते छह माह में 21 और पद रिक्त होने से कुल 54 पद पर भर्ती की प्रक्रिया प्रस्तावित है।
उन्होंने कहा कि रिक्त पदों की वजह से जिला आयोगों में न्यायिक कारवाई बाधित हो रही है। उन्होंने कहा कि इन पदों को भरने के वास्ते राजस्थान उच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश की अध्यक्षता में चयन समिति भी गठित कर दी गई है। हाइकोर्ट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डा सचिन आचार्य और भारत सरकार की ओर से डेपुटी सॉलिसिटर जनरल मुकेश राजपुरोहित ने पैरवी की।
खंडपीठ ने अतिरिक्त महाधिवक्ता को निर्देश दिए कि राज्य और जिला उपभोक्ता आयोग में रिक्त पदों को भरने के वास्ते राज्य सरकार और उपभोक्ता मामलात सचिव के पास क्या प्रस्तावित रूपरेखा और योजना है। सुनवाई की आगामी तारीख 21मई निर्धारित की गई।
राजथान हाईकोर्ट : स्त्री रोग विशेषज्ञ चिकित्सक के निलम्बन आदेश पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार को किया जवाब तलब
जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने स्त्री रोग विशेषज्ञ चिकित्सक के निलम्बन आदेश पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार को जवाब तलब किया है। कोर्ट ने डॉ शैलेन्द्र लोमरोड़ की रिट याचिका की प्रारंभिक सुनवाई करते हुए आदेश दिया है। इसमें वरिष्ठ चिकित्सक की ओर से अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने पैरवी की।
नागौर के राजकीय मेडिकल कॉलेज के अंतर्गत जेएलएन ज़िला अस्पताल में कार्यरत वरिष्ठ महिला रोग चिकित्सक डॉ शैलेंद्र लोमरोड की ओर से अधिवक्ता यशपाल खिलेरी व विनीता ने रिट याचिका दायर कर बताया कि वह गत 14 वर्ष से चिकित्साधिकारी पद पर सेवारत है और दिनाँक 10 मई 2024 की रात्रि में नाईट-ऑफ /रात्रि अवकाश पर होने और ऑन कॉल ड्यूटी पर होने के कारण अस्पताल के इंचार्ज द्वारा उसे केवल इस कारण निलंबित कर दिया गया कि ईलाज के दौरान प्रसूता की मृत्यु हो गई। वस्तुत: मरीज की मृत्यु होने के समय वह न तो ड्यूटी पर था और न ही नियमानुसार कॉल कर अस्पताल बुलाया गया। जबकि रात्रिकालीन ड्यूटी पर सीएमओ/ केजुयल्टी मेडिकल ऑफिसर और अन्य चिकित्सक भी मौजूद थें।
याची की ओर से बताया गया कि नियमानुसार चिकित्सा अधिकारी राज्य सेवा के अधिकारी होते हैं जिनकी नियुक्ति राज्य सरकार / सचिव, चिकित्सा विभाग द्वारा होती हैं और प्रारंभिक जांच में सुनवाई के अवसर देने के बाद प्रथमदृष्ट्या दोषी होने पर कार्मिक विभाग ही अनुशासनात्मक कार्यवाही संस्थित कर सकता है लेकिन निलंबन करने हेतु ज़िला अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी के पास कोई अधिकारिता औऱ क्षेत्राधिकार नहीं है और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इन्तज़ार किये बिना व उसके रात्रि ड्यूटी पर नहीं होने के बावजूद भी उसे बेवज़ह निलंबित किया गया है।
मामले की प्रारंभिक सुनवाई करते हुए जस्टिस अरुण मोंगा की एकलपीठ ने 11 मई के निलंबन आदेश पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार सहित अन्य को जवाब तलब किया। अगली सुनवाई 14 अगस्त 2024 को नियत की।
