मधुहीर राजस्थान
जैसलमेर। लेखक लक्ष्मीनारायण खत्री ने बताया कि मेरी जिंदगी में बहुत सारी प्रतिभाएं आई जिनसे मैं निरंतर सीखता रहा और प्रेरणा पाता रहा। ऐसी ही जैसलमेर की एक शख्सियत थी डॉ जगदीशकुमार पुरोहित जिनसे मैंने बी.कॉम ,एम.काॅम.( लेखा शास्त्र एवं सांख्यिकी) तक की प्राइवेट छात्र के रूप में शिक्षा पाई। मैं लगभग 5 वर्ष तक ट्यूशन पढ़ने के लिए उनके घर गया था। डॉ पुरोहित जैसलमेर गवर्नमेंट कॉलेज में लेक्चर थे। वह उच्च कोटि के शिक्षक तथा कवि एवं उपन्यासकार थे। पिछले दिनों डॉ पुरोहित का लगभग 65 वर्ष की आयु में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था।
जैसलमेर निवासी डॉ जगदीश पुरोहित मिलनसार , सरल, सौम्य, सहज, हसमुख ,नम्र स्वभाव के धनी व्यक्ति थे। वह श्रेष्ठ वक्ता होने के साथ-साथ रचनात्मक प्रतिभा के धनी एवं उच्च कोटि के विद्वान थे। डॉ पुरोहित का जन्म 22 मई 59 को जैसलमेर में हुआ था । उनके पिताजी पुलिस इंस्पेक्टर थे। प्रारंभ से ही पढ़ाई में तेज पुरोहित ने बीकॉम , एम काॅम, एम फिल ,पीएचडी तक शिक्षा प्रथम श्रेणी से सदैव प्राप्त की थी। बाद में डॉ पुरोहित जैसलमेर एवं बाड़मेर में कई वर्षों तक व्याख्याता रहे तथा प्रिंसिपल पद से जैसलमेर महाविद्यालय से रिटायर हो गए। डॉ पुरोहित की लेखनी में विशेष रूचि थी वह देशभर की पत्र पत्रिकाओं में निरंतर शोध लेख लिखते थे। वीराने ख्वाब काव्य कृति प्रकाशित हुई जिसमें अपने मानव मन, रिश्ते, प्रेम, प्रकृति, नारी, करुणा, सौंदर्य आदि का वर्णन किया है। इसी प्रकार कड़वा सच उपन्यास में पुलिस की नौकरी एवं संघर्ष का वर्णन है।
इसी प्रकार विमाता के आंसू में मन की अभिव्यक्ति का प्रतिबिंब झलकता है। इसी प्रकार डॉ पुरोहित की एक अन्य पुस्तक अंग्रेजी भाषा में हिंदुइज्म है जिसमें सरल भाषा में हिंदू धर्म की व्याख्या की गई है। जैसलमेर पर लिखी पुस्तक में जैसलमेर के संस्कृति ,दर्शनीय स्थलों तथा लोक संस्कृति को प्रकट किया गया है। मेरी लेखन एवं संस्कृति में गहन रुचि होने के कारण डॉ पुरोहित मेरी बहुत ही स्नेह एवं सम्मान करते थे तथा वे मेरे द्वारा स्थापित दी थार हेरीटेज म्यूजियम में आयोजित विचार गोष्ठियों तथा अन्य कार्यक्रमों में सक्रिय भागीदारी निभाते थे। मुझे उनके साथ काम करने से अनेक रचनात्मक मार्गदर्शन मिला। सचमुच डॉ जगदीश पुरोहित मरू क्षेत्र जैसलमेर की साहित्य और संस्कृति क्षेत्र की महान प्रतिभा थे उनके द्वारा रचा गया साहित्य शोधार्थी विद्यार्थियों तथा आमजन के लिए ज्ञान के भंडार के रूप में अमर रहेगा।
