Translate


Home » जोधपुर » एकमुश्त भुगतान लेने के बाद भी दायर भरण-पोषण के दावे की पोषणीयता पर विचार करेगा हाईकोर्ट

एकमुश्त भुगतान लेने के बाद भी दायर भरण-पोषण के दावे की पोषणीयता पर विचार करेगा हाईकोर्ट

Facebook
Twitter
WhatsApp
Telegram
74 Views

मधुहीर राजस्थान
जोधपुर। मुस्लिम रीति रिवाज को मानने वाले पति-पत्नी के बीच उपजे वैवाहिक विवाद का आपसी समझौते के आधार पर तलाक के जरिए निपटारा होने और पति द्वारा एकमुश्त भरण-पोषण राशि का भुगतान करने के नौ वर्ष बाद तलाकशुदा पत्नी की ओर से दायर भरण-पोषण के दावे की पोषणीयता पर राजस्थान हाईकोर्ट विचार करेगा।
मामले में पति का प्रतिनिधित्व कर रहे राजस्थान हाईकोर्ट के अधिवक्ता रजाक खान हैदर ने अदालत को बताया कि पति-पत्नी दोनों ने वर्ष 2013 में चार गवाहों की मौजूदगी में आपसी सहमति से सौ रुपए के नॉन ज्यूडिशियल स्टाम्प पर तलाकनामा निष्पादित किया था, जिसे नोटेरी पब्लिक द्वारा तस्दीक भी किया गया था। उसी समय पत्नी व नाबालिग पुत्र के जीवन निर्वाह हेतु दोनों पक्षों की सहमति से एकमुश्त भरण-पोषण राशि तय की गई, जिसका भुगतान तत्काल पति द्वारा उसी समय कर दिया गया। तलाकनामे की इबारत के अनुसार पति ने पत्नी को दहेज, स्त्रीधन, मेहर राशि आदि लौटा दी थी। दोनों पक्षों ने यह भी घोषणा की थी कि दोनों पक्षों में अब ना तो कुछ बकाया है और ना ही भविष्य में कोई कानूनी कार्रवाई करने के अधिकार रहेगा।
प्रार्थना-पत्र पोषणीय नहीं
मुस्लिम शरीयत विधि के अनुसार तलाक होने के करीब 9 वर्ष बाद तलाकशुदा पत्नी ने दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 125 के तहत न्यायालय के समक्ष भरण-पोषण के लिए प्रार्थना-पत्र पेश कर दिया और न्यायालय ने तलाकशुदा पति को प्रतिमाह 4500 रुपए तलाकशुदा पत्नी को अदा करने के आदेश दिए। पति ने दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 482 के तहत आपराधिक विविध याचिका दायर कर न्यायालय के आदेश को चुनौती दी। उन्होंने एकमुश्त भरण-पोषण राशि लेने के बाद तलाकशुदा पत्नी द्वारा भरण-पोषण के लिए प्रार्थना-पत्र पेश करने के औचित्य पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह प्रार्थना-पत्र पोषणीय नहीं है।
..तो फिर बढ़ जाएंगे मुकदमे
लोक अदालत की भावना से वैवाहिक विवादों का निपटारा मध्यस्थता और अन्य वैकल्पिक विवाद निस्तारण प्रक्रियाओं के जरिए होना सुखद है। एकमुश्त भरण-पोषण राशि लेने के बाद भी यदि फिर से भरण-पोषण के प्रार्थना-पत्र स्वीकार करने की अनुमति दी गई तो वैवाहिक विवादों को राजीनामा के जरिए निपटाने के प्रयासों को धक्का लगेगा और अदालतों में वैवाहिक विवादों से उपजे मुकदमे बढ़ेंगे। प्रारम्भिक सुनवाई के बाद न्यायाधीश अरुण मोंगा की अदालत ने याचिका को विचारार्थ स्वीकार करते हुए पत्नी को नोटिस जारी करने के आदेश दिए हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Poll

क्या आप \"madhuheerrajasthan\" की खबरों से संतुष्ट हैं?

weather

NEW YORK WEATHER

राजस्थान के जिले