पहले भी किया जा चुका है पाबंद
मधुहीर राजस्थान
जोधपुर। ऐतिहासिक शहर पनाह की दीवार को गेस्ट हाउस मालिक एवं स्थानीय निवासियों, अतिक्रमियों द्वारा अपने निजी स्वार्थ के चलते पुन: क्षतिग्रस्त किया जा रहा है। कुछ महीनों पूर्व भी इन्हें पुरातत्व विभाग, पुलिस विभाग द्वारा पाबन्द किया गया था, इसके बावजूद अतिक्रमी पुन: इस ऐतिहासिक दीवार के मूल स्वरूप से छेड़छाड़ कर क्षतिग्रस्त कर रहे है।
इण्टैक जोधपुर चैप्टर के संयोजक डॉ. महेन्द्र सिंह तंवर ने बताया कि 16वीं शताब्दी में नगर की रक्षा के लिए बनाए परकोटे की दीवार, जिसके भीतर पुराना शहर बसा हुआ था। जोधपुर शहर के इसी परकोटे और इनके इन महत्वपूर्ण दरवाजों को सुरक्षित रखने व संरक्षण देने के लिए भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक निधि ट्रस्ट (इंटैक) ने 1989 में एक अध्ययन कर इन दरवाजों और शहर पनाह की दुर्दशा की और राज्य सरकार का ध्यान दिलाया था। इसके बाद राज्य सरकार से आग्रह किया गया कि इन्हें संरक्षित इमारत घोषित किया जाए। साथ ही इस ऐतिहासिक परकोटे की उचित सार संभाल की जाए। इसके पश्चात इस ऐतिहासिक एवं पुरा महत्व की शहर परकोटे की दीवार को संरक्षित करने का कार्य वर्ष 2005 में राजस्थान सरकार के महत्वपूर्ण आर्थिक सहयोग व प्रयासों से राजस्थान सरकार, इण्टैक जोधपुर चैप्टर एवं मेहरानगढ़ म्यूजिय़म ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में मरम्मत व जीर्णोद्धार का कार्य पूर्ण किया गया था। किले की प्राचीर से देखने पर परकोटे की यह दीवार चीन की ग्रेट वॉल से कम परिलक्षित नहीं होती है और इसकी विशालता इसके सामरिक महत्व को भी दर्शाती है लेकिन इस ऐतिहासिक और पुरा महत्त्व के परकोटे की दीवार को समय-समय पर स्थानीय निवासियों और भू-अतिक्रमियों द्वारा अपने निजी स्वार्थ के चलते क्षतिग्रस्त कर दिया है और कहीं-कहीं लोगों ने इसके पत्थरों को निकालकर आम रास्ता तक बना दिया है। समय रहते प्रशासन द्वारा कोई ठोस और कठोर कार्यवाही नहीं की गई और इन्हें नहीं रोका गया तो इस संरक्षित श्रेणी में सम्मिलित प्राचीन व ऐतिहासिक दीवार का अस्तित्व समाप्त होते देर नहीं लगेगी।
