Translate


Home » जोधपुर » मैरिंगो सीआईएमएस हॉस्पिटल के रीनल साइंसेज विभाग ने ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की

मैरिंगो सीआईएमएस हॉस्पिटल के रीनल साइंसेज विभाग ने ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की

Facebook
Twitter
WhatsApp
Telegram
87 Views

100 किडनी ट्रांसप्लांट के साथ 100 लोगों की ज़िंदगी बचाई गई

मधुहीर राजस्थान
जोधपुर। अहमदाबाद में अव्वल दर्जे के चिकित्सा केंद्र के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले मैरिंगो सीआईएमएस हॉस्पिटल ने आज बड़े गौरव के साथ एक नया कीर्तिमान बनाने, यानी 100 मरीजों का किडनी ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक पूरा करने की घोषणा की है। इस उपलब्धि से यह बात जाहिर होती है कि, अस्पताल स्वास्थ्य सेवा को उन्नत बनाने के साथ-साथ ऑर्गन ट्रांसप्लांट के ज़रिये लोगों की जान बचाने के अपने इरादे पर अटल है। बीते कुछ सालों में अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी और सर्जरी की पहले से बेहतर तकनीकों के साथ किडनी ट्रांसप्लांट की मेडिकल टीम भी काफी विकसित हुई है और रीनल ट्रांसप्लांट में अव्वल दर्जे की चिकित्सा के लिए मरीजों के बीच सबसे पसंदीदा टीम के रूप में उभरकर के सामने आई है। इस टीम की कमान डॉ. सिद्धार्थ मवानी, डायरेक्टर- नेफ्रोलॉजी एवं किडनी ट्रांसप्लांट, मैरिंगो सीआईएमएस हॉस्पिटल के हाथों में है, जिन्हें डॉ. पंकज शाह, डॉ. हितेश देसाई, डॉ. मयूर पाटिल का सहयोग प्राप्त है।
साल 2015 में मैरिंगो सीआईएमएस हॉस्पिटल पहली बार किडनी ट्रांसप्लांट किया गया था, और इसके बाद ही यहाँ रीनल साइंसेज में सर्जरी से जुड़ी प्रक्रियाओं की शुरुआत हुई। बीते कुछ सालों में, इस टीम ने मरीज की बेहतर ढंग से देखभाल करने और उसे तेजी से पहले की तरह स्वस्थ बनाने के लिए सर्जरी की कुछ बेमिसाल प्रक्रियाओं को अपनाया है, जिसने इस टीम को एक अलग पहचान दी है। बड़े पैमाने पर बदलाव लाने वाली प्रक्रियाओं को अपने के बाद से ट्रांसप्लांट के शानदार परिणामों की संख्या लगातार बढ़ रही है, और इसी वजह से अब यह ट्रांसप्लांट के लिए सबसे पसंदीदा डेस्टिनेशन बनता जा रहा है।
किडनी ट्रांसप्लांट दरअसल सर्जरी की एक प्रक्रिया है, जिसमें डोनर से प्राप्त स्वस्थ किडनी को ऐसे व्यक्ति के शरीर में लगाया जाता है, जिसकी किडनी अब ठीक से काम नहीं कर रही है। इस तरह का ट्रांसप्लांट किसी जीवित डोनर के अलावा मृत डोनर से भी हो सकता है। सामान्य तौर पर अंतिम चरण की किडनी की बीमारी (ईएसआरडी) या किडनी फेल्योर की समस्या से पीड़ित मरीज के लिए किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है। जब किडनी खून से अपशिष्ट और अतिरिक्त तरल पदार्थ को कारगर तरीके से फ़िल्टर नहीं कर पाती है, तब यह बीमारी उत्पन्न होती है। ईएसआरडी की सामान्य वजहों में डायबिटीज, हाई ब्लड-प्रेशर, ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस (किडनी की फ़िल्टरिंग यूनिट्स में सूजन), और पॉलीसिस्टिक किडनी रोग जैसी लंबे समय तक कायम रहने वाली बीमारियाँ शामिल हैं।
डॉ सिद्धार्थ मवानी, डायरेक्टर- नेफ्रोलॉजी एवं किडनी ट्रांसप्लांट, मैरिंगो सीआईएमएस हॉस्पिटल, कहते हैं, “हमारी टीम के लिए किडनी ट्रांसप्लांट में सौ का आँकड़ा पूरा करने का सफ़र सचमुच अविश्वसनीय रहा है। हमारी चिकित्सीय उत्कृष्टता को एक असरदार ताकत के रूप में पहचान दिलाने में टीम के हर सदस्य का समर्पण वाकई बेमिसाल रहा है। सौ का आँकड़ा पूरा करने की यह उपलब्धि हमारे लिए बड़े गौरव की बात है। मैरिंगो सीआईएमएस हॉस्पिटल के अध्यक्ष, डॉ. केयूर पारिख कहते हैं, “हम मैरिंगो सीआईएमएस हॉस्पिटल में 100 मरीजों के सफल किडनी ट्रांसप्लांट की शानदार उपलब्धि का जश्न मना रहे हैं, और हम इस उपलब्धि में अपने साथ मौजूद डॉक्टरों की टीम की ताकत को अच्छी तरह समझते हैं, जो सर्वोत्तम संभावित नतीजे हासिल करने के लिए हर स्तर पर अपने कौशल का सबसे बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Poll

क्या आप \"madhuheerrajasthan\" की खबरों से संतुष्ट हैं?

weather

NEW YORK WEATHER

राजस्थान के जिले