मधुहीर राजस्थान
महाराणा प्रताप जयंती मनाने के लिए तालाब की मिट्टी से घर पर ही बना दी मूर्ति
टोंक (संजय सिंह चौहान)। गिरा जहाँ पर खून वहां का,पत्थर-पत्थर जिन्दा है । जिस्म नहीं है मगर नाम का,अक्षर-अक्षर जिÞंदा है। जीवन में यह अमर कहानी,अक्षर-अक्षर गढ़ लेना। शौर्य कभी सो जाए तो,महाराणा प्रताप को पढ़ लेना इन पंक्तियों को चरितार्थ किया है तरुणराज सिंह राजावत खरेड़ा ने 9 जून को महाराणा प्रताप की 484 वीं जयंती को अनोखा बनाने के लिए राजावत ने अपने घर पर ही महाराणा प्रताप की मूर्ति बना ली रौचक यह है कि राजावत ने न कभी कोई प्रशिक्षण लिया न किसी से सिखा नहीं कोई औजार काम में लिए केवल हाथ ही महाराणा प्रताप की मूर्ति बना दी तथा प्राकृतिक रंगों से ही उसको सुन्दर बनाया राजावत कहते हैं की वे जब छोटे थे तब तालाब से मिट्टी लाकर खिलौने बनाते थे ऊन यादों को ताजा करने व वह महाराणा के विचारों को आगे बढाने के लिए ये कार्य किया राजावत सभी महापुरुषों की जयंती अलग अलग तरीके से मनाते है महापुरुषों के लिए एक कलेण्डर भी बनाकर लगभग 5000 स्कूलों में वितरित कर चुके हैं तथा मिट्टी से लगभग एक दर्जन महापुरुषों की मूर्तियां बनाकर उनकी जयंती मनाते है।
