मधुहीर राजस्थान
जैसलमेर ( अमित डांगरा )। प्रदेश में लुप्त हो रहे राज्य पक्षी गोड़ावण को बचाने के लिए भारतीय वन्य जीव संस्थान के केन्द्रीय मंत्रालय के निर्देशन में राज्य सरकार ने प्रयास शुरू किये है। इसके लिए ग्रेट इंडियन बस्टर्ड चूजों को सम से रामदेवरा स्थित प्रजनन एवं संरक्षण केन्द्र में स्थानान्तरित किया गया है। रामदेवरा के केन्द्र में वर्तमान में छह व पहले से तेरह चूजों को रखा गया है। तथा वहां उनको उनके भौतिक वातावरण के अनुसार संरक्षित किया जा रहा है। पूरे भारत में अगस्त 2023 तक 150 ग्रेड इंडियन बस्टर्ड थे। जिसमें से 128 राजस्थान में है। लेकिन अब धीरे धीरे अनदेखी के चलते राज्य पक्षी का अस्तित्व खत्म होता नजर आ रहा है। जिनको बचाने के लिए सरकार प्रयासरत है। राजस्थान के राज्य पक्षी गोड़ावण को बचाने के लिए जैसलमेर के सम केन्द्र से संरक्षण व प्रजनन केन्द्र रामदेवरा व पोकरण के बीच स्थित गोमट में स्थानान्तरित किया जा रहा है। वर्तमान में सम सेंटर से गोडावण के छह बच्चे जो उम्र में बड़े हैं, उन्हे रामदेवरा सेंटर में स्थानान्तरित किया गया है। उनकी मैटिंग कराने के बाद वे अण्डे देने लगेगे।
जिससे लुप्त हो रहे गोडावण की संख्या को बढाया जा सके। इसके बाद उन्हे छोडा जायेगा है। रामदेवरा प्रजनन केन्द्र में वर्तमान में 19 चूजों को रखा गया है तथा उनकी पूरी देखभाल करने के साथ खाने में पेलेट न्यूट्रार्स व कीड़े मकोडे दिये जाते है। अभी हाल में छह चूजो को सम सेंटर से रामदेवरा लाया गया है तथा उनको वर्तमान में पूर्ण वातारण के अनुकुल तरीके से संरक्षण व प्रजनन की प्रकिया अपनाई जा रही है। जिससे लुप्त हो रहे राजस्थान के राज्य पक्षी गोडावण के वंश को बचाया जा सके। राजस्थान के पश्चिमी रेगिस्तान शुष्क व अर्थ शुष्क घासभूमियों वाले इलाके में राज्य पक्षी गोडावण पक्षी पाया जाता है। गोडावण को भारतीय तिलोर, जिसे गुराबिन, माल मोरडी, हुकना पक्षी, सोहन चिडिया भी कहते है। जिसका वैज्ञानिक नाम नवीन चर्खिया है। वही उड़ने वाले पक्षियों में यह सबसे वजनी पक्षी है। भारत में यह पक्षी राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उतर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश, ओडिसा व तमिलनाडू राज्य में पाया जाता था। लेकिन अगस्त 2023 सर्वे के अनुसार 150 ग्रेड इंडियन बस्टर्ड में से अब यह पक्षी राजस्थान में 128 व गुजरात, महाराष्ट्र, आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक प्रत्येक राज्य में 10 से कम पक्षी है।
आईयूसीएन की संकटग्रस्त प्रजातियो पर प्रकाशित होने वाली लाल डाटा पुस्तिका में इसे गंभीर रूप में संकटग्रस्त श्रेणी में तथा भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची प्रथम में रखा गया है। गोडावण का अस्तित्व वर्तमान में खतरे में है तथा इसकी बहुत ही कम संख्या बची है। धीरे धीरे यह प्रजाति विलुप्ति होने के कगार पर है। गोडावण को बचाने के लिए राष्ट्रीय मरू पार्क में आगामी प्रजनन काल मे सुरक्षा के समुचित प्रबंध किये गये है। गोडावण को बचाने के लिए जैसलमेर के सम में अस्थाई केन्द्र व रामदेवरा में स्थाई केन्द्र खोला गया है। वही केन्द्र सरकार भी गोडावण को बचाने के लिए 8 करोड की लागत से टनल बना रही है। जिससे गोडावण को बचाया जा सके। संरक्षण एवं प्रजनन केन्द्र रामदेवरा के प्रभारी अधिकारी मोहिबदीन ने बताया कि सम सेटर से वर्तमान में गोडावण के छह चूजो को रामदेवरा लाया गया है। रामदेवरा प्रजनन केन्द्र में उनकी पूर्ण देखभाल की जा रही है। जहां यह चूजे मैटिंग करने के बाद अण्डे देने लगेगे तथा उसके बाद गोडावण के बच्चे निकलने पर उनको संरक्षण कर छोडा जायेगा। वन अधिकारी जैसलमेर डा. आशीष व्यास ने बताया कि गोडावण को बचाने के लिए दो सेंटर सम व रामदवेरा बनाये गये है। सम सेंटर में गोडावण का चूजा एक माह होने पर संरक्षित करने के लिए रामेदवरा संरक्षण व प्रजनन केन्द्र भेजा जाता है। चूजा के बडा होने के बाद उसे स्थाानान्तरण नहीं किया जा सकता है। इसलिए गोडावण को बचाने के लिए एक माह का चूजा रामदेवरा में स्थानान्तरित किया जा रहा है।
