मधुहीर राजस्थान
जोधपुर। राजस्थान उच्च न्यायालय की एकलपीठ के न्यायाधीश मुनुरी लक्ष्मण ने असक्षम अधिकारी द्वारा की गयी कार्यव्यवस्था पर अंतरिम रूप से रोक लगायी।
बीकानेर निवासी उमेश कुमार जो वर्तमान में जोधपुर डिस्कॉम जोधपुर के तहत आंतरिक जांच परियोजना बीकानेर में सहायक लेखाधिकारी के पद पर कार्यरत है। उसका सहायक लेखाधिकारी के पद पर पदोन्नति वर्ष 2012 में सचिव (प्रशासन) जोधपुर डिस्कॉम, जोधपुर द्वारा किया। पदोन्नति के बाद उसका पदस्थापन आंतरिक निरीक्षण शाखा बीकानेर में किया गया। उसके पदोन्नति स्थान पर कार्यग्रहण भी कर लिया व वर्तमान में यही वह कार्यरत है। 23.सितंबर 2025 की उसका कार्य व्यवस्थार्थ की आड़ में मुख्य नियंत्रक लेखाधिकारी जोधपुर डिस्कॉम, जोधपुर द्वारा स्थानांतरण बीकानेर से फलौदी किया गया। साथ ही फलौदी लिये तुरन्त कार्यमुक्त करने का आदेश भी 24 सितंबर 2025 को पारित कर दिया गया।
विभाग के इस कृत्य से व्यथित होकर याचिकाकर्ता ने अपने आदेश 23.09.2025 एवं 24.09.2025 से व्यथित होकर अपने अधिवक्ता प्रमेन्द्र बोहरा के माध्यम से चुनौती दी।
उच्च न्यायालय के समक्ष बोहरा का तर्क था कि प्रथमतया उसका कार्य व्यवस्था की आड़ में किया गया स्थानांतरण असक्षम अधिकारी द्वारा किया गया। याचिकाकर्ता का सक्षम अधिकारी सचिव (प्रशासन) जोधपुर डिस्कॉम, जोधपर है व उसका कार्य व्यवस्था की आड़ में स्थानांतरण मुख्य नियंत्रक लेखाधिकारी जोधपुर डिस्कॉम द्वारा किया गया। याचिकाकर्ता की पदोन्नति वर्ष 2012 में सचिव (प्रशासन) जोधपुर डिस्कॉम, जोधपुर द्वारा ही की गयी। साथ ही उसकी पत्नि भी बीकानेर में अध्यापिका के पद पर कार्यरत है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता का यह तर्क भी था कि फलौदी में सहायक लेखाधिकारी द्वितीय का पद भी नहीं है इसलिये कार्य व्यवस्थार्त स्थानांतरण किया गया है। जो अनुचित है उसे वेतन तो बीकानेर से ही मिलेगा पर कार्य उसे फलौदी से करना होगा।
प्रार्थी के अधिवक्ता के तर्को से सहमत होते हुए प्रार्थी की रिट याचिका को अंतरिम रूप से ग्राह्य करते हुए सचिव (प्रशासन) जोधपुर डिस्कॉम, जोधपुर मैनेजिंग डायरेक्टर जोधपुर डिस्कॉम, जोधपुर एवं अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया व मुख्य नियंत्रक एवं लेखा जोधपुर डिस्कॉम, जोधपुर के आदेश 23 सितंबर 2025 व कार्यमुक्ति आदेश 24 सितंबर 2025 पर अंतरिम रोक लगायी।

