मधुहीर राजस्थान
जोधपुर/जैसलमेर। दक्षिणी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ ने रेगिस्तानी रणक्षेत्र में चल रहे अखंड प्रहार के तहत कोणार्क कोर की ऑपरेशनल तैयारियों की समीक्षा की। यह अभ्यास त्रिशूल ट्राइ-सर्विसेज एक्सरसाइज का अहम अध्याय है। इसने थल और वायुसेना की संयुक्त युद्ध क्षमता का प्रभावशाली प्रदर्शन किया।
ले. जनरल धीरज सेठ के अनुसार थार के कठिन इलाकों में अभ्यास ने मल्टी-डोमेन बैटलस्पेस में भारतीय सेना की शक्ति, समन्वय और तकनीकी उत्कृष्टता को नए स्तर पर दिखाया है। कम्बाइंड आम्र्स मैन्युवर्स के दौरान थलसेना और वायुसेना के बीच अपूर्व तालमेल दिखा। अभ्यास में कई नए टैक्टिक्स, टेक्निक्स और प्रोसिजर्स को रियल-टाइम परिस्थितियों में परखा गया। इससे भविष्य के युद्ध अभियानों की रणनीतियों को और धार मिलेगी। ले. जनरल सेठ ने बैटल एक्स डिविजन और कोणार्क कोर के इनोवेशन का जायजा लिया। उन्होंने स्वदेशी ड्रोन, काउंटर-ड्रोन उपकरण और फोर्स प्रोटेक्शन सिस्टम जैसे स्वनिर्मित रक्षा संसाधन देखे। ये संसाधन अब भारतीय सेना की ऑपरेशनल तैयारियों का अहम हिस्सा बन चुके हैं। सेठ ने बैटल एक्स डिविजन की तकनीकी नवाचार, आत्मनिर्भर दृष्टिकोण और उच्च ऑपरेशनल रेडीनेस के लिए सराहना की। उन्होंने कहा कि हमारी सेना तेजी से स्वदेशी तकनीकी संसाधनों की दिशा में आगे बढ़ रही है।
अखंड प्रहार के दौरान हाई-टेक ड्रोन और काउंटर-ड्रोन सिस्टम्स की लाइव डेमोन्स्ट्रेशन ने भविष्य की हाइब्रिड वॉरफेयर रणनीतियों को परखने का मौका दिया। स्वदेशी प्लेटफॉर्म्स और नई सैन्य तकनीकों का मूल्यांकन किया। इससे आत्मनिर्भर भारत की दिशा में मजबूत कदम दिखा। स्वदेशी ड्रोन, कम्युनिकेशन नेटवर्क और रीयल-टाइम डेटा इंटीग्रेशन सिस्टम्स ने भारतीय सेना की तकनीकी बढ़त प्रदर्शित की। ले. जनरल सेठ ने कोणार्क कोर और बैटल एक्स डिविजन की इनोवेशन क्षमता और नई तकनीकी सोच सराही। फॉर्मेशन स्तर पर विकसित इनोवेटिव सिस्टम्स और इंडिजिनस सॉल्यूशन्स को सेना की भविष्य की दिशा के लिए गेम चेंजर बताया। सैनिकों की तकनीकी दक्षता, ऑपरेशनल रेडीनेस और कठिन परिस्थितियों में मिशन पूरा करने की क्षमता की प्रशंसा की।

